'जिंदगी' को कॉल किया, फिर नहीं हुई सुसाइड करने की हिम्मत

किसी ने सुसाइड का मन बना लिया है! जाहिर सी बात है उसके मुताबिक उसके पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं होगा, तभी ऐसा करने का फैसला किया होगा। ऐसे में सुसाइड करने का मन बना चुके इंसान के दिमाग में ये बात भी आती होगी... अगर ऐसा हो जाय तो वो शायद अपना फैसला बदल ले। ऐसे ही बात अहमदाबाद के शख्स के मन में आई, और उसने फोन लगा दिया 'जिंदगी' को!
यह जिंदगी कोई और नहीं अहमदाबाद पुलिस कंट्रोल रूम से चलने वाली 'जिंदगी हेल्पलाइन' थी। नोटबंदी की वजह से सुसाइड करने का ख्याल पालने वाले 28 वर्षीय युवक ने नोटबंदी की वजह से पैसों की किल्लत से आजिज आकर हेल्पलाइन नंबर 1096 पर कॉल किया था।
हेल्पलाइन पर एक महिला पुलिस कॉन्स्टेबल तरुणा रहित ने फोन उठाया, तरुणा ने उस युवक को ऐसी सलाह दी कि उसने सुसाइड का प्लान कैंसिल कर दिया। आप उस महिला कॉन्स्टेबल को धन्यवाद दे सकते हैं। अब आते हैं उस युवक की कहानी पर... उसने नोटबंदी की वजह से सुसाइड तक का फैसला कर लिया, उसके पीछे क्या सिर्फ यही वजह थी।
इसी महीने है बहन की शादी
28 साल का युवक रमेश (बदला हुआ नाम) दिसंबर में अपनी बहन की शादी के लिए कैश न मिल पाने को लेकर परेशान था और हेल्पलाइन में फोन कर सुसाइड करने की बात कह रहा था। अहमदाबाद के मॉर्बी एरिया में रहने वाले इस युवक को जब उसे लगा कि अब कोई विकल्प नहीं बचा है तो उसने सुसाइड करने का मन बना लिया।
पुलिसकर्मियों ने बताया कि अहमदाबाद पुलिस कंट्रोल रूम से जिंदगी हेल्पलाइन पर 16 नवंबर को तरुणा रहित ने शाम को 3 बजकर 40 मिनट पर एक कॉल रिसिव किया। कॉल पर विजय रो रहा था। वह एक फैक्ट्री में काम करता है। तरुणा ने बताया कि,'मुझे याद है कि विजय कॉल पर कह रहा था कि उसके पास रुपये तो हैं लेकिन सभी 500 और 1 हजार के पुराने नोट हैं, जो कि अवैध हैं। उसको लग रहा था कि अब सुसाइड करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। इस पर तरुणा ने उसे समझाया कि उसके सुसाइड करने से परिजनों को नुकसान होगा। उसको बताया कि अगर उसने सुसाइड किया तो उसकी बहन की शादी भी नहीं हो पाएगी और उसका परिवार बेसहारा हो जाएगा। इसके साथ ही मैंने उसे कैश जुटाने के कुछ तरीके भी बताए।'
तरुणा ने बताया उपाय
इसके कुछ दिनों बाद जब तरुणा रहित ने युवक की मानसिक हालत जानने के लिए उसे कॉल किया तो उसे यह जानकार बहुत खुशी हुई कि रमेश ने उनकी बातों को गंभीरता से लिया और आत्महत्या नहीं करने का निर्णय लिया। तरुणा ने बताया कि,'मैंने विजय को वो सरकारी तरीके बताए जिनसे कि कैश आसानी से मिल सकता है। उसको मैंने शादी के कार्ड के साथ पुलिस स्टेशन आने को कहा। इसके बाद विजय ने काफी हद तक मेरी बात को सही ढंग से समझा। उसको मुख्य रूप से इस बात का अफसोस था कि एक भाई होने के नाते वह चाहकर भी अपनी बहन की शादी में योगदान नहीं दे पा रहा है।'
यह एक आत्महत्या के लिए मन बना चुके इंसान को जिंदगी देने की बेहतरीन मिसाल है। हमारा समाज भले ही संवेदहीन होने की राह पर चल पड़ा हो पर हमे खुद से और अपने चाहने वालों को इस तरह के निराशा के माहौल से निकालने का प्रयास करते रहना चाहिए। आपके आस पास भी अगर कोई शख्स परेशान है तो उसे उसकी अहमियत बताइए... क्योंकि जिंदगी अनमोल है, उसे ऐसे ही जाया न होने दिया जाय।
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