14 साल की मेहनत के बाद सिपाही बना एसडीएम, पढ़ें संघर्ष की कहानी
शुक्रवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पीसीएस 2016 के आए परिणाम में कई लोगों के संघर्ष की कहानियां सामने आई हैं। संघर्ष और सफलता की कहानियों में श्याम बाबू की कहानी काफी रोचक है। यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात श्याम बाबू का चयन एसडीएम के पद पर हुआ है। बलिया जिले के इब्राहिमपुर गांव के रहने वाले श्याम बाबू पिछले 14 साल से पुलिस विभाग में तैनात थे। वर्तमान में उनकी तैनाती प्रयागराज में हैं और यही पर रहकर उन्होंने तैयारी और सफलता पाई। श्याम बाबू की एसडीएम बनने की कहानी इस समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। श्याम बाबू ने यूपीपीसीएस 2016 के परिणाम में 52वीं रैंक पाई है।
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आसान नहीं रहा सफर
श्याम बाबू का सफर इतना आसान नहीं रहा है। श्याम बाबू के पिता गांव में किराना की दुकान चलाते है और मां गृहणी है। श्याम बाबू की पांच बहनें हैं। 2005 की भर्ती में यूपी पुलिस में आने वाले श्याम बाबू ने अपने बड़े भाई उमेश को भी पढ़ाया। उनके मित्र अजीत कुमार ने बताया कि श्याम बाबू जब पुलिस विभाग में तैनात हो गए, तो उन्होंने अपने बड़े भाई को तैयारी जारी रखने के लिए कहा और वर्तमान में वे भी अफसर है। उनकी इस सफलता ने पुलिस महकमे का नाम ऊंचा हुआ है। उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए 14 साल तक इंतजाार करना पड़ा। श्याम बाबू का यह सफर भले ही लम्बा रहा हो, लेकिन उनकी कामयाबी वास्तवों में दूसरों के लिए प्रेरणा है। उनकी इस सफलता पर गांव में 26 फरवरी को सम्मान समारोह का कार्यक्रम रखा गया है।
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19 साल की उम्र में पुलिस में हो गए भर्ती
बलिया जिले के रहने वाले श्याम बाबू 19 साल की उम्र में ही पुलिस विभाग में भर्ती हो गए थे। यूपी पुलिस में भर्ती होने के बाद उन्होंने अपनी आगे की भी पढ़ाई जारी रखी। श्याम बाबू ने सुदिष्ट बाबा इंटर कॉलेज रानीगंज से हाईस्कूल एवं इंटर की पढ़ाई की। इंटर करते ही वह पुलिस सेवा में आ गए, लेकिन उन्होंने आगे की भी पढ़ाई जारी रखी और वर्ष 2008 में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने 2013 में केबी पीजी कॉलेज मिर्जापुर से परास्नातक किया। 2017 में उन्होंने नेट की परीक्षा भी पास की है। श्याम बाबू ने प्राचीन इतिहास विषय के साथ यूजीसी नेट क्वालीफाई किया।
यूपी पुलिस में क्षेत्राधिकारी अभिषेक प्रकाश ने अपनी फेसबुल वाल पर लिखा है " श्याम बाबू पर गर्व है और सच कहिए तो पूरा पुलिस महकमे के लिए आज बड़ा दिन है।एक सिपाही की नौकरी करते हुए उपजिलाधिकारी पद पर चयन हो जाना एक बड़ी उपलब्धि है। आत्मसम्मान से जीने के लिए अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है और उसी कड़ी में आदमी कुछ भी करता है जिससे दो जून की रोटी जुट सके।कोई काम इसीलिए छोटा-बड़ा नही होता बल्कि काम के प्रति निष्ठा और ईमानदारी जरूरी है। श्यामबाबू का चयन उच्चपदों पर बैठे लोगों के लिए एक नसीहत है कि पद से व्यक्ति के व्यक्तित्व का आकलन नही करना चाहिए। मुझे खुद ही कुछ ऐसे सिपाही मिले जो कई जगह मुझसे बेहतर हैं और मैंने कहा भी कि आप लोग पढ़िए रुकिए मत। शायद अब उनको यह समझ मे आए।उम्मीद है आगे कुछ और बेहतर होगा।मेरे लिए तो पुलिस विभाग की शान ही ऐसे सिपाही हैं।"
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