एक बाप की कहानी, बेटी की पढ़ाई के लिए हर दिन कम करता गया खाना

त्याग की मिसाल वैसे तो मां को माना जाता है लेकिन यहां एक बाप अपनी बेटी के लिए एक ऐसा त्याग कर रहा है जिससे उसकी बेटी आगे पढ़ सके। फेसबुक पर ह्यमन ऑफ बॉम्बे पेज पर हमें एक स्टोरी मिली जहां एक बाप की कहानी जो टैक्सी ड्राइवर है।
यह टैक्सी ड्राइवर जिसने अपनी थाली से हर दिन रोटी कम करता गया, वो भी सिर्फ अपनी बेटी की फीस जमा करने के लिए। इस ड्राइवर का नाम नहीं है। लेकिन यह शख्स जानता है कि बड़े लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। और ये भी कि वो आज किसी बड़े पद पर क्यों नहीं। वो जानते हैं कि पढ़ाई-लिखाई के माध्यम से ही हालात को बदला जा सकता है। वो अपनी बेटी को पढ़ाना चाहते हैं लेकिन गरीब आदमी की जिंदगी इतनी भी आसान नहीं होती। इन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए क्या-क्या करना पड़ा, ये सब उन्होंने अपनी कहानी में बताया है। लीजिए उन्हीं के शब्दों में पढ़िए।
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बहुत से लोगों को लगता है कि हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते और पढ़ाना नही चाहते, उन्हें लगता है हमें अपने बच्चों को घर बैठाना अच्छा लगता है लेकिन वो लोग नहीं जानते कि हमें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हमारे इस पेशे में कुछ हफ्ते काफी बेहतर कमाई हो जाती है तो कुछ हफ्ते काम एकदम से अच्छा आमदनी नही होता है।
एक वक्त ऐसा भी आया था, जब मैं अपनी 14 साल की बेटी की स्कूल फीस देने में असमर्थ हो गया। मैं तो परिवार की रोज की जरूरतें ही पूरी नहीं कर पा रहा था। यहां तक कि कभी कभी खाने तक के नसीब नही हो पाता था। उस समय मुझे ख्याल आया कि क्यों ना उससे स्कूल को छोड़कर किसी सस्ते पब्लिक स्कूल में दाखिला लेने के लिए कहूं। तब क्या हुआ, मैंने कोशिश की कि उससे कहूं। लेकिन मैं उसे यह बात ना कह सका। मैंने कुछ रुपये उधार लिए और मैने खुद कम खाना शुरू कर दिया लेकिन वक्त पर उसकी फीस जमा कर देते थे।
जब मैं आठवीं में पढ़ता था, तब मेरी पढ़ाई किसी वजह से छूट गई थी। मुझे इस अनपढ़ होने का दर्द एहसास दिलाता रहता है। इसलिए मुझे अपनी बेटी को बेहतर शिक्षा देने लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी ये दिन देखे। जो आज मैं देख रहा हूं। मैं जानता हूं कि मेरी बेटी के गंदे जूते और पुराने कपड़े देखकर दूसरे बच्चे उस पर हंसते हैं, लेकिन कभी उसने मुझसे शिकायत नहीं की। और न ही कोई फरमाईश की। मैं जानता हूं मैं उसकी सही परवरिश कर रहा हूं और मेरा यकीन है कि मेरी बेटी एक दिन मेरा सिर फख्र से ऊंचा करेगी।
(फेसबुक पर ह्यूमन ऑफ बॉम्बे नाम से एक पेज है। यह पेज मुंबई के किसी एक शख्स पर रोज एक स्टोरी करता है। यह पेज अपने बारे में लिखता है 'मुंबई के दिल की धड़कन')
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