ट्यूशन पढ़ाकर आईएएस बने सोमेश, 34वीं रैंक लाकर किया बिहार टॉप

किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत व लगन सच्ची हो तो चाहे जितनी भी बाधाएं आएं मंजिल का रास्ता खुद बा खुद तैयार हो जाता है। बस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हौसले बुलंद हों तो मंजिल मिल ही जाती है, चाहे रास्ते में कितनी भी कठिनाइयां आ जाएं।
इसका जीवंत उदाहरण संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा 2016 के आए परिणाम में देखने को मिला। जिसमें एक साधारण परिवार के लड़के ने आर्थिक चुनौतियों को मात देते हुए सफलता का परचम लहराया। आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए ट्यूशन तक भी पढ़ाया लेकिन अपने लक्ष्य से नहीं डिगा। जिसका परिणाम रहा कि यूपीएससी की परीक्षा में उसने 34वीं रैंक हासिल करके बिहार में टॉप किया।
यूपीएससी की परीक्षा में 34वां स्थान
बिहार के सारण जिला मढौरा थाने के अवारी गांव निवासी सोमेश प्रकाश उपाध्याय ने यूपीएससी की परीक्षा में 34वां स्थान हासिल करके यह साबित कर दिया कि लगन सच्ची हो सभी बाधाओं को भी पार किया जा सकता है। एक मध्यम-वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले सोमेश के पिता कोलकाता में एक प्राइवेट कंपनी में कर्मचारी थी। उनकी मासिक तनख्वाह बेहद कम थी लेकिन आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भी उन्होंने बेटे को भी इसका अहसास नहीं होने दिया। बेटे को बेहतर से बेहतर पढ़ाई के लिए सब कुछ किया तथा जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे।
31 मई 2015 को पिता उपेंद्र उपाध्याय का निधन
सोमेश की पढ़ाई 10वीं बंगाल बोर्ड, 12वीं साइंस देवघर, बीएससी सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता से हुई है। फिर टाटा रिसर्च इंस्टीट्यूट से एमएससी करने के बाद 2014 में यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। लेकिन अगले ही साल 31 मई 2015 को पिता उपेंद्र उपाध्याय का निधन हो गया। इसके बाद सोमेश टूट गए क्योंकि पूरे परिवार के लिए पिता ही एकमात्र सहारा थे।
पिता के निधन के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी सोमेश के कंधे ही आ गई। आर्थिक मार ने सोमेश के सपनों पर पानी फेर दिया, लेकिन उनके चाचा विनोद उपाध्याय ने विषम परिस्थिति में उनका साथ देते हुए हौसला अफजाई किया। सोमेश कहते हैं तब चाचा विनोद उपाध्याय ने हौसला बढ़ाया। विनोद उपाध्याय औरंगाबाद में सैफ जवान हैं। सोमेश ने बताया कि वह कोलकाता में ही अपनी मां मंजू देवी और दो छोटी बहनों के साथ रहते हैं। पिता जी के निधन के बाद मैंने और दो छोटी बहनों ने ट्यूशन पढ़ाकर घर चलाया। इन विषम परिस्थितियों में भी सोमेश ने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी। जब यूपीएससी 2016 का परिणाम आया तो सोमेश लाखों युवाओं के लिए आईकॉन बन गए है जो कि आर्थिक समस्या को दे कर टूट जाते हैं और अपने सपनों पर पानी फेर लेते है।
पिताजी होते तो बहुत खुश होते
संयोग ऐसा कि जिस दिन(31 मई) उसके पिता ने दुनिया को अलविदा कहा, उसी दिन सोमेश का चयन यूपीएससी में हुआ। सोमेश कहते हैं कि पिताजी होते तो बहुत खुश होते। उनका सपना था कि मैं आईएएस बनूं। सोमेश अपनी सफलता का श्रेय माता, पिता, चाचा, दोस्तों और अपने शिक्षकों को देते हैं।
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