शरण्या ने दूध दान कर बचाया सैकड़ों नवजातों का जीवन

संपूर्ण विश्व में शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक भारत में है। हर साल यहां 1,000 में से 37 नवजातों की सांसें किसी न किसी कारण से दम तोड़ देती हैं। इन मौतों की सबसे बड़ी वजह सही पोषण न मिल पाना है।
नवजात के लिए मां का दूध अमृत समान होता है अगर किसी वजह से नवजात को मां का दूध नहीं मिल पाता है, तो यह कुपोषण का सबसे बड़ा कारक साबित होता है। इस समस्या को दूर करने के लिए चेन्नई की शरण्या ने आगे कदम बढ़ाया है।
शरण्या कांची चाइल्ड ट्रस्ट अस्पताल के मिल्क बैंक में अपना दूध दान कर रही हैं। शरण्या दूसरी बार मां बनी हैं और पिछले कई महीने से लगातार दूध दान कर रही हैं। शरण्या की इस पहल से अब तक सैकड़ों नवजातों की जिंदगी बचाई जा सकी है।
फेसबुक से मिली मदर मिल्क बैंक की जानकारी
इस नेक काम की शुरुआत के बारे में बताते हुए शरण्या कहती हैं, कि जब वो प्रेग्नेंट थीं तो उन्हें फेसबुक के जरिए पता चला कि मां का दूध न मिलने की वजह से कई बच्चों की मौत हो जाती है और फिर उन्हें मदर मिल्क बैंक के बारे में पता चला जहां पर अपना दूध दान किया जा सकता था।
वह हर पांच दिन पर मिल्क बैंक जाती हैं और 150ml तक दूध दान करती हैं। मदर मिल्क बैंक में तीन तरह की महिलाएं दूध दान करती हैं। एक तो वे जिनका दूध ज्यादा बनता है, दूसरी वे जिनके बच्चे ICU में भर्ती होने की वजह से दूध नहीं पी सकते हैं और तीसरी वे जिनके बच्चों की मौत हो जाती है।
कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें दूध तो बनता है लेकिन किसी वजह से वे अपने शिशुओं को दूध पिला नहीं पातीं। मदर मिल्क बैंक में महिलाओं का दूध पंप के जरिए निकालकर इकट्ठा कर लिया जाता है। ये दूध 6 महीने तक स्टोर किया जा सकता है। दूध लेने से पहले महिला की एचआइवी और हेपटॉइटिस जैसे कुछ रोगों की जांच की जाती है। इकट्ठा किये गये दूध को पॉश्चरीकृत कर जमा किया जाता है।
शरण्या को पति से मिली प्रेरणा
अपने परिवार के बारे में बताते हुए शरण्या कहती हैं, कि उनके परिवार वाले इस काम में उनका काफी सपोर्ट करते हैं। शरण्या की एक बेटी भी है, जो उनके साथ अस्पताल तक जाती है। वह मां से कहती है कि आप जब तक चाहें दूध दान करना जारी रख सकती हैं। शरण्या के पति रेगुलर ब्लड डोनर हैं। कभी भी जरूरत पड़ने पर वह रक्त दान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। दान करने की प्रेरणा शरण्या ने उनसे ही ली है।
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