महिला प्रधान ने बदल दी पूरे गाँव की तस्वीर, अनुदान का भी नहीं किया इंतजार

देश की सबसे छोटी सरकार चलाने वाले जनप्रतिनिधि विकास के नाम पर अक्सर सरकार को कोसते रहते हैं कि उन्हें समय से बजट नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से गांव का विकास नहीं हो पा रहा है। सरकारी सिस्टम पर हमेशा ही आरोप लगाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए नजीर हैं उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के उम्मेदपुर भुता गांव की महिला प्रधान बबली देवी।
जिन्होंने सरकारी रोड़ों की परवाह किए बिना अपने गांव की तस्वीर बदल डाली है। अब हर तरफ उनकी तारीफ हो रही है। उन्होंने अपने गांव का विकास करने के लिए न तो अनुदान का इंतजार किया और न ही विधायक-सांसद के दर पर दस्तक दी। बल्कि उन्होंने स्वयं ही अपनी पंचायत में आय के तरीके खोजे और विकास कार्यों पर जोर दिया। उनके द्वारा गांव में कराए गए विकास की एक तस्वीर गांव के प्राइमरी स्कूल में बना चाइल्ड फ्रेंडली टॉयलेट भी है।
बबली ने ऐसे बदली गाँव की तस्वीर

20000 आबादी वाली ग्राम पंचायत की कमान संभालने के बाद बबली ने इस गाँव के विकास पर पूरा ध्यान दिया। अब इस ग्राम पंचायत का अपना बाजार है। यहां पर 200 से अधिक दुकानें हैं, जिसको ग्राम पंचायत ने किराए पर उठा रखा है। इससे होने वाली आय को गांव के ही विकास में लगाया जाता है। ग्राम पंचायत के अफसरों की मदद से इसका ठेका छोड़कर कॉस्मेटिक, फल, सब्जी, टेलरिंग आदि की दुकानों से किराया वसूलना शुरू किया। इससे साल-दर साल पंचायत का खजाना भरता जा रहा है और आमदनी से गांव की अब तक 80 फीसद गलियां पक्की कराई जा चुकी हैं।
खराब पड़े करीब 20 हैंडपंपों से रिबोर कराकर पेयजल की सुविधा दिलाई गई। आधुनिक सरकारी प्राइमरी स्कूल व बाल मित्र शौचालय तैयार कराया। इसके अलावा गांव में विकास के लिए बरात घर का निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा गांव में स्वच्छता के लिए साफ-सफाई की व्यवस्था सुदृढ़ की गई है। इसके अलावा पूरे गांव को वाईफाईयुक्त कराने के अलावा आधुनिक पुस्तकालय के निर्माण का काम चल रहा है। गांव के स्कूल को भी हाईटेक बनाने की तैयारी चल रही है। स्कूल की कक्षाओं में फर्नीचर, आधुनिक पुस्तकालय व इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। यहां पर सुविधाएं व पढ़ाई का बेहतर माहौल होने के कारण अब अभिभावकों ने भी निजी स्कूलों में पढ़ रहे अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में प्रवेश कराना शुरू कर दिया है। अब पंचायत गांव के इस सरकारी स्कूल को इंग्लिश मीडियम कराने के प्रयास में जुटी है।
प्राइमरी स्कूल में बना हाईटेक चाइल्ड फ्रेंडली टॉयलेट
गांव में स्वच्छता की नजीर के साथ ही साथ उन्होंने बच्चों को स्कूल आकर्षित करने के लिए चाइल्ड फ्रेंडली टॉयलेट का निर्माण कराया है। उनके द्वारा बनाया गया अत्याधुनिक सुविधा से युक्त टॉयलेट को खास तरीके से बनाया गया है। यह टॉयलट किसी भी फाइव स्टार होटल के टॉयलेट से कम नहीं है। छात्रों की लंबाई के हिसाब से अलग-अलग यूरेनल शीट व आकर्षक टाइल्स लगाई गई हैं। ग्रेनाइट पत्थर से फर्श तैयार कराया गया है। प्रकाश के लिए बेहतर लाइटिंग भी कराई गई है। इसको बनाने में 14 लाख से अधिक का खर्च आया है। स्कूल में सुविधा बेहतर किए जाने की वजह से स्कूल में जहां 2015-16 के सत्र में 260 थी अब वह 2016-17 में बढ़कर 278 हो गई। अब गांव में बच्चों की संख्या में और बढ़ोत्तरी हो रही है।
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