सरस्वती के प्रयास से महिलाएं बन रहीं सक्षम, लड़ेंगी खुद की लड़ाई

अक्सर हम जब पड़ोसी के घर से महिला के रोने या चीखने की आवाज सुनते हैं तो उसे उनका पारिवारिक मामला समझकर छोड़ देते हैं और हमारी यही सोच घरेलू हिंसा को बढ़ावा देती है। 70 साल की सरस्वती सिंह इसकी परवाह नहीं करतीं और पहुंच जाती हैं मामले को सुलझाने।
सोशल मीडिया, जागरुकता अभियानों के बाद अभी भी कई ऐसी योजनाएं हैं जो महिलाओं तक नहीं पहुंच पातीं। घरेलू हिंसा होने पर कहां शिकायत करनी चाहिए, कैसे उसका जवाब दें इन सबकी जानकारी न होने पर महिलाएं अक्सर शोषण का शिकार हो जाती हैं। महिलाओं को जागरुक करने का काम कर रही हैं झारखंड की रहने वाली सरस्वती सिंह। सरस्वती सिंह 50 सालों से महिलाओं के झगड़े सुलझाने का काम कर रहीं हैं। लोग उन्हें आयरन लेडी के नाम से भी जानते हैं। सरस्वती नहीं चाहतीं कि कोई भी महिला घरेलू हिंसा का शिकार हो।
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महिलाओं को बना रहीं सशक्त
सरस्वती उन सभी महिलाओं को लड़ाई लड़ने में मदद करती हैं जिनके घरवाले या आस-पास के लोग उन्हें प्रताड़ित करते हैं। वो महिला का तब तक साथ देती हैं जब तक उसे न्याय न मिल जाए। यही नहीं सरस्वती महिलाओं को मानसिक रुप से सशक्त बनाती हैं कि वो हर स्थिति के लिए तैयार हो जाएं और आगे कभी भी कोई उनका शोषण न कर सके। कभी अगर कोई खराब स्थिति आ भी जाती है तो वो अपनी लड़ाई खुद लड़ने के लिए सक्षम हों। वह उन महिलाओं की भी मदद के लिए आगे आती हैं जो हिंदी भाषा नहीं बोल पाती या अपनी बात कहने में संकोच करती हैं।
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कानून की लेती हैं मदद
सरस्वती सिंह साइकिल से गांव-गांव जाकर महिलाओं से मिलती हैं और उनकी परेशानियां सुनती हैं। अगर मामला उनके सुलझाने से नहीं सुलझता तो वो कानून का सहारा लेने से भी संकोच नहीं करती। सरस्वती सिंह ने 14 साल की उम्र से ही ये काम करना शुरू कर दिया था। उनकी ममेरी बहन को उनके ससुराल वाले परेशान करते थे और इसीलिए उन्होंने ऐसी महिलाओं की मदद करने की ठानी।
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