हौसले की उड़ान के आगे फीकी पड़ी साईं की दिव्यांगता, बनाए कई रिकॉर्ड

इंसान को उड़ने के लिए प्रकृति ने पंख तो नहीं दिया, पर इंसान ने अपने उड़ने के साधन बना लिए! आज वो हवाई जहाज से जहां चाहे जा सकता है। यही नहीं खुले आसमान में पक्षियों की तरह उड़ने का शौक भी 'स्काईडाइविंग' करके वो पूरी कर लेता है। यह बेहद हिम्मत का काम हो सकता है एक सामान्य आदमी के लिए जो पूरी तरह स्वस्थ्य है, लेकिन उसका क्या जो पैरालाइज है? क्या वो भी उसी तरह हवा की सैर कर सकता है? ऐसी ही है हमारी आज की कहानी...
हम बात कार रहे हैं 30 साल के साईं विश्वनाथन की, जिन्हें 13 साल की उम्र में पैरालाइस का अटैक आया और उनका आधा शरीर नाकाम हो गया। लेकिन साईं ने हिम्मत नहीं हारी और आज उनके नाम 14000 फ़ीट से डाइव करने का लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड है। साईं ने पहले दिव्यांग भारतीय के तौर पर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है। साई ने एक संस्था 'सहरसा' भी बनाई है जो उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप देती है।
साईं को अभी हाल ही में 'पॉजिटिव हेल्थ हीरो' अवार्ड 2016 मिला है
MBA करने के बाद बच्चों को देते हैं GMAT क्रैक करने की ट्रेनिंग
अभी तक तो हम साईं के व्यक्तिगत हिम्मत और जज्बे की बात कर रहे थे, लेकिन हम आपको बता दें साईं समाज के लिए भी उसी जज्बे के साथ लगे हुए हैं। 30 साल के साईं प्रसाद ने अमेरिका से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया है और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से MBA डिग्रीधारक हैं।
बच्चों को फ्री में पढ़ाते हैं
आपको जानकर हैरानी होगी कि साईं अब तक 200 बच्चों को GMAT क्रैक करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं, जिनमें से 180 बच्चों ने 800 अंक के पेपर में 700 से अधिक अंक हासिल किए हैं। वे बच्चों से तभी फीस लेते हैं जब उन्हें ये एग्जाम पास कर लेने के बाद किसी टॉप की यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल जाता है। फिर वे उनसे उतना ही पैसा लेते हैं जितनी की दरकार उन्हें किसी टूर कि लिए होती है।
एशिया के पहले दिव्यांग जो अंटार्कटिका तक पहुंचे
साईं को एडवेंचर स्पोर्ट्स में काफी दिलचस्पी है। वे स्काईडाइव तो करते ही हैं इसके साथ ही बच्चों का एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए उत्साहवर्धन भी करते हैं। वे एशिया के पहले ऐसे डिसेबल हैं जो अंटारटिका तक पहुंचे हैं। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस यानी ISB के वे शुक्रगुजार इसलिए हैं क्योंकि केवल उन्हीं के लिए पूरे कैंपस को डिसेबल फ्रेंडली बना दिया गया। ISB में उन्होंने एंप्लायमेंट मॉडल बनाया जिसमें ये बताया गया था कि किस तरह डिसेबल लोग अपनी कमजोरियों को ही अपनी ताकत बना सकते हैं। उदाहरण के लिए ट्रैफिक को कंट्रोल करते समय एक पुलिस वाले को नॉयज पॉल्यूशन का सामना करना पड़ता है लेकिन एक बधिर इस काम को बिना किसी परेशानी के पूरा कर सकता है।
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