दृष्टिहीन होने के कारण नहीं मिली थी जॉब, 40 से अधिक को अपनी कंपनी में दे रहे नौकरी

पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रहे जयपुर के प्रतीक अग्रवाल ने प्लेसमेंट के दौरान कई इंटरव्यू क्लियर किए, लेकिन एचआर विभाग ने उन्हें इसलिए नौकरी पर नहीं रखा क्योंकि वह दृष्टिहीन थे।
कोई नौकरी नहीं मिलने पर वह हताश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने नौकरी तलाश करने की बजाय नौकरियों का सृजन करने का फैसला किया। आज वह 40 से अधिक कर्मचारियों को अपनी आईटी कंपनी में नौकरी दे रहे हैं। इस कंपनी को उन्होंने साल 2010 में शुरू किया था।
संभवतः वह देश के पहले दृष्टिहीन आईटी एंटरप्रेन्योर हैं। वह विजुवल वर्ल्ड से आवाज के जरिये जुड़े हुए हैं। प्रतीक हर कॉल को करने, रिसीव करने, टेक्स्ट मैसेज को पढ़ने और उसका जवाब भेजने के लिए कंप्यूटर के साथ ही मोबाइल को भी टॉक मोड में इस्तेमाल करते हैं।
इस तरह से वह दुनियाभर में फैले अपने सैकड़ों क्लाइंट्स से जुड़े हुए हैं। प्रतीक अपने कर्मचारियों से बात भी इसी तरह से करते हैं। वह कहते हैं कि उद्यमी बनाना उनकी च्वाइस नहीं, बल्कि मजबूरी थी। उन्होंने बताया कि नीमराना में एनआईआईटी यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट होने तक वह लगातार शीर्ष तीन में ही बने रहे।
हर कैंपस इंटरव्यू में टॉप परफॉर्मर रहे। एप्टीट्यूट टेस्ट, रीजनिंग, ग्रुप डिस्कसन सहित हर एक्टिविटी में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। मगर, फाइनल राउंड में हर बार एचआर यह कह कर नौकरी देने से इंकार कर देता था कि मैं दूसरों के लिए प्रेरणा हूं।
हालांकि, मेरी प्रतिभा को हर बार नजरअंदाज कर दिया जाता था। फिर भी मैंने हार नहीं मानी। नौकरी नहीं मिलने पर नौकरी देने का सोचा और आज आईटी इंटरप्रेन्योर बनने के बाद कई लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा हूं।
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