75 साल की उम्र में इस महिला ने अकेले की नाथुला दर्रे पर चढ़ाई

हर किसी की जिंदगी में एक कहानी ऐसी होती है जिसे वह दुनिया को सुनाना चाहता है, लेकिन पुणे की रहने वाली 87 साल की रीना वर्मा कई ऐसी कहानियां हैं जो वह हमें सुना सकती हैं। अब आप सोच रही होंगे आखिर कौन हैं ये रीना वर्मा। रीना वर्मा पुणे की एक बुजुर्ग महिला हैं जिन्होंने वाकई में ये साबित किया है कि सपनों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती।
रीना ने भारत की पहली रिपब्लिक डे परेड में हिस्सा लेने से लेकर, पंडित जवाहर लाल नेहरू, क्वीन एलिजाबेथ और नेपाल के राजा जैसी कई हस्तियों से मिलने तक, उनकी जिंदगी की कई उपलब्धियां हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे। इसके बावजूद खुश कैसे रहते हैं, ये उन्हें अच्छे से पता है।
1932 में रावलपिंडी (अब पाकिस्तान में) में जन्मीं रीना कहती हैं कि उस वक्त वहां का माहौल बहुत अलग था। वह कहती हैं कि जब मैं वहां रहती थी तब मैंने वहां किसी तरह का कोई साम्प्रदायिक भेदभाव नहीं देखा। हम वहां बहुत शांति से रहते थे। मेरे माता-पिता उस जमाने में बहुत आगे की सोच रखते थे। 1930 के दशक में मेरी दीदी हम सब से दूर हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थीं। मेरा पिता बेटियों को पढ़ाने में भरोसा रखते थे। उनके पिता की पोस्टिंग रावलपिंडी के हिल स्टेशन मरी में थी, इसलिए रीना का बचपन कई ब्रिटिश परिवारों के साथ बीता।
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पहली रिपब्लिक डे परेड
उन दिनों को याद करते हुए वह कहती हैं, मैं उस वक्त दिल्ली में एक कॉलेज में पढ़ती थी। उस वक्त कुछ पंजाबी थिएटर आर्टिस्ट एक परफॉर्मर की तलाश कर रहे थे और मैं पार्टिसिपेट करने के लिए काफी उत्सुक थी। रीना ने कुछ ही दिनों में वह ग्रुप ज्वाइन कर लिया और 'निक्का मोटा बाजरा' गाने पर गणतंत्र दिवस की पहली परेड में परफॉर्म किया। वह कहती हैं कि मुझे हमेशा से ही गाने और डांस करने का शौक था और जब मुझे यह मौका मिला तो मैंने उसे जाने नहीं दिया। वह कहती हैं कि मेरा बचपन ग्रामोफोन पर गाने सुनते हुए बीता है। उनका फेवरेट गाना कौन सा है? पूछने पर वह तुरंत जवाब देती हैं- केएल सैगल का बाबुल मोरा नहिअर छूटा ही जाए।

बड़ी हस्तियों से मिलना
रीना की शादी हो गई और वह अपना कॉलेज पूरा करने के बाद बंगलुरू शिफ्ट हो गईं। इसके बाद उन्होंने कावेरी एम्पोरियम में काम करना शुरू कर दिया। ये एम्पोरियम आज भी अपने हैंडीक्राफ्ट आइटम्स के लिए लोगों को अट्रैक्ट कर रहा है। नेपाल के राजा से मिलने के वाकये को याद करते हुए वह कहती हैं कि क्योंकि उस दिन राजा हमारी एम्पोरियम में आए थे इसलिए सामान्य जनता को वहां आना मना था। नेपाल के राजा मेरे काउंटर पर आए और डिस्प्ले में लगे कुछ आइटम्स के बारे में पूछने लगा। उस वक्त मुझे उनसे बातें करने का मौका मिला।
जिंदगी के संघर्ष
रीना की जिंदगी में कई मुश्किलें भी आईं। उनके पति जब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से रिटायर होने वाले थे, उसे कुछ दिन पहले ही उन्हें पैरालिसिस का अटैक आ गया। ये वो वक्त था, जब उनके परिवार काफी आर्थिक तंगी में आ गया। उनके पति को रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं मिल रही थी और रिटायरमेंट से पहले पैरालिसिस के अटैक ने हमें एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया। वह कहती हैं कि मेरे दो बच्चे थे, जिनकी पढ़ाई का खर्चा भी मुझे उठाना था। लेकिन रीना ने हार नहीं मानी और इस मुश्किल घड़ी का डट कर सामना किया। उनके बेटा भी नशे का आदी हो गया और एक दिन इससे जिंदगी हार गया। इतने बड़े गम भी उनका हौसला नहीं तोड़ पाए।
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75 की उम्र में ट्रैकिंग
रीना कहती हैं, मैं एक योद्धा हूं और मैंने हार नहीं मानी। वह कहती हैं कि मुझे पहाड़ों से बहुत प्यार था। इसलिए मैंने नाथुला दर्रा पर ट्रैकिंग करने के बारे में सोचा। मैं उस वक्त सिलीगुड़ी में थी और मेरे साथ जाने वाला कोई नहीं था। इसलिए मैंने तय कि मैं अकेले ही जाऊंगी।

मैंने तय किया और ये कर दिखाया। जब लोगों ने मुझे इसके लिए बधाई देना शुरू किया, तब मुझे लगा कि शायद ये मुश्किल काम था। अब जब रीना 87 साल की हो गई हैं तब भी वह वाकाथंस में हिस्सा लेती रहती हैं। वह कहती हैं कि मैं पिछली तीन वाकाथंस में जीत चुकी हूं।
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