गांव से कैब सर्विस चलाने वाले दिलखुश से पीएम हुए खुश, स्टार्टअप की तारीफ

काम करने के लिए कोई जगह छोटी नहीं होती है, बस जरूरत होती है उस काम में अपना शत प्रतिशत देने की। यह साबित कर दिखाया है बिहार के सहरसा जिले के वनगांव निवासी दिलखुश ने। अपने गांव से बैठकर आर्य गो कैब की सर्विस चलाते हैं। गांव में बैठकर दो साल पहले स्टार्टअप शुरू करने वाले दिलखुश हीरो बन गए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की और उन्हें बधाई दी। अपनी रोजी-रोटी के लिए एक बस ड्राइवर के बेटे ने गांव से छोटी पूंजी के साथ रोजगार शुरू किया था, आज उनका यही स्टार्टअप उनकी प्रसिद्धी का कारण बन गया। अब उनके स्टार्टअप की चर्चा पूरे बिहार में हो रही है। आने वाले दिनों में उनकी ये सफलता की कहानी चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना (सीआईएमपी) में पढ़ाई जाएगी।
कुछ इस तरह शुरू किया था दिलखुश ने स्टार्टअप
अपने जुनून और दृढ़ इच्छा शक्ति के बदौलत दिलखुश ने अपने गांव वनगांव से ही महानगर के तर्ज पर कैब सर्विस की शुरुआत की। चंद दिनों में ही ये मेहनत और लगन के बदौलत दिलखुश टैक्सी वाला के नाम से मशहूर हो गया। अब इसको काफी प्रसिद्धी मिल चुकी है। वरिष्ठ पत्रकार पुष्यमित्र ने फेसबुक पर लिखा कि मैँ जब सहरसा जा रहा था तो मैंने पोस्ट किया था। मैं कारु खिरहर जाना चाहता हूँ, कोई मित्र मदद करेगा क्या? तब दिलखुश का कमेन्ट आया था, आर्य गो कैब हैं न भैया।
.....उन्होंने आगे लिखा कि याद आ गयी वह बात जब दो साल पहले इसी गांव के सामने एक फ्लैक्स लगा था आर्यन कैब के नाम से। तब मैंने उसकी तस्वीर ली थी और उसे पोस्ट भी किया था। तब शायद इसकी शुरुआत हुई थी। आज सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले से ऑपरेट करने वाले आर्य गो कैब के साथ तकरीबन 70 कारें जुड़ी हुई हैं। ये गाड़ियां शहर में 139 रुपये ट्रिप के हिसाब से और शहर से दूर जाने पर 8 रुपये प्रति किमी तक कि सस्ती दर से इस इलाके के लोगों को कैब उपलब्ध करा रही हैं। इसके अलावा दूसरी सेवाओं की अलग अलग दरें हैं।
सबसे बड़ी बात है, जिस इलाके में टैक्सी करना एक बड़ा काम है। जब आप मजबूर हों तो आपसे दुगुना या तिगुना किराया भी वसूल किया जा सकता है। वहाँ एक कैब सर्विस खड़ा करना वह भी एक गांव से, कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। आर्य गो कैब का अपना ऐप है, आप उससे भी बुकिंग कर सकते हैं। कॉल सेंटर तो है ही।पुष्यमित्र बताते है कि दिलखुश ने सिर्फ 10वीं तक की पढ़ाई की है। पटना की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते हुए उन्हें कैब सर्विस शुरू करने का आईडिया आया।
पिछले साल उनके इस प्रोजेक्ट का सिलेक्शन बिहार स्टार्ट अप स्कीम के लिये हुआ। अब उनकी गाड़ी निकल पड़ी है। मोदी अगर उनसे बात कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि मुमकिन है उन्हें 2019 के प्रचार अभियान का चेहरा बनाया जाए। वैसे बता दें कि स्टार्टअप योजना के तहत पिछले वर्ष 3024 नए प्रोजेक्ट के लिए आवेदन लिए गए, जिसमें से 32 प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। जिसमें से दिलखुश के प्रोजेक्ट 'आर्या गो', आर्यन कैब रूलर ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लि. को भी चुना गया है। अब सरकार की सहायता से इस कैब सर्विस का पूरे राज्य में विस्तार की योजना है।
इस पर देते हैं दिलखुश फ्री सेवा
कुछ सपने लेकर दिलखुश ने छोटे से गांव से कैब सर्विस शुरू की थी। उन्होंने अपनी चर्चा के लिए तथा लोगों को अपनी सर्विस की तरफ आर्कषित करने के लिए समाज सेवा शुरू की। सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सरकारी अस्पताल से नि:शुल्क सेवा प्रदान कर रहे हैं। उनकी कैब सर्विस सरकारी अस्पतालों में बेटी के जन्म लेने पर जच्चा-बच्चा को घर पहुंचाने की मुफ्त सेवा देते हैं। बिना दहेज के होने वाली शादियों में दूल्हे के लिए मुफ्त में गाड़ियां उपलब्ध करवाते हैं। इसके अलावा बॉर्डर पर शहीद हुए जवानों के परिवार को साल में 200 किलोमीटर की यात्रा मुफ्त में करवाने और उससे अधिक पर 50% छूट देते हैं। इस सेवा का विस्तार सहरसा के अलावा सुपौल और मधेपुरा तक हो चुका है। उनकी इस कामयाबी पर वर्तमान में मधेपुरा व सहरसा में आर्या गो ऑफिस के जरिये क्षेत्र के सैकड़ों वाहन मालिक व चालक जुड़ कर सेवा मुहैया करा रहे है।
अब लिखी जाएगी कामयाबी की कहानी और बनेगी फिल्म
आर्या गो ए यूनिट आफ आर्यण कैब रुरल ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लि को अब बिहार सरकार के स्टार्टअप में शामिल कर लिया गया है। अब वे बनगांव निवासी बस चालक पवन खां के पुत्र दिलखुश कुमार अब सूबे के सबसे बड़े टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुके है। उनको अब चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना (सीआईएमपी) द्वारा राज्य सरकार द्वारा बेहतरीन काम कर रहे 12 स्टार्टअप में दिलखुश कुमार का चयन किया गया है। सीआइएमपी द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम के सदस्य प्रो राजीव वर्मा, प्रो अनुज शर्मा, प्रो गीता, प्रो राजकमल ने बताया कि दिलखुश के आर्या गो कैब सर्विस के उपर हमारे स्टार्टअप सीरिज के तहत किताब का प्रकाशन किया जायेगा। इसके अलावा चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट द्वारा एडाक्यूमेंट्री भी बनायी जायेगी। आर्या गो कैब का प्रबंधन बिहार सरकार के स्टार्टअप योजना के तहत कोसी प्रमंडल के तीनों जिले में किया जा रहा है।
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