अपनी कैब में बैठी सवारी से प्रेरित होकर ड्राइवर बन गया भारतीय सेना में अॉफिसर

सकारात्मक विचार न केवल दिमाग को बदलते हैं। बल्कि ये किसी की भी जिदंगी को परिवर्तित कर सकते हैं। ऐसा ही कुछ एक कैब ड्राइवर के साथ हुआ। अपनी कैब में बैठी एक सवारी से वह इतना ज्यादा प्रेरित हुआ कि उसने टैक्सी चलाना ही छोड़ दिया। उसने इसके बाद सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत कर परीक्षा दी और उसमें सफल भी हुआ। अब वह सेना में अफसर बनने वाला है। कैब ड्राइवर से सेना में अफसर बनने का यह मामला महाराष्ट्र के पुणे का है।
महाराष्ट्र के पुणे में एक छोटे से गांव में रहने वाले ओम पैठाने के साथ कुछ ऐसा ही हुआ कि वो ओला कैब ड्राइवर से भारतीय सेना में ऑफिसर बनने की डगर पर चल निकले और सफल भी हुए। इसी महीने 10 मार्च को चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी में होने वाली पासिंग आउट परेड में वह कैडेट से सीधे भारतीय सेना में शामिल हो जाएंगे। ओम को कैब चलाते वक्त एक रिटायर्ड कर्नल मिले थे जिन्होंने उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित किया।
घर की खराब स्थिति के कारण पढ़ाई के साथ - साथ चलाने लगे कैब
ओम बताते हैं कि उनके पिता किसान थे और गाड़ी भी चलाते थे, लेकिन एक हादसे में उनके दोनों पैर खराब हो गए। इसके बाद वह वॉचमैन का काम करने लगे। लेकिन घर की स्थिति बिगड़ चुकी थी और इस हालत में ओम को घर चलाने की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। वह बीएससी (कंप्यूटर साइंस) फाइनल ईयर की पढ़ाई भी कर रहे थे और साथ में ओला की कैब भी चलाने लगे। एक दिन ऐसे ही उनकी कैब में एक रिटायर्ड कर्नल बैठे। उनका नाम गणेश बाबू था। कुछ दूर जाने पर उन्होंने ओम से बात करनी शुरू कर दी। उन्होंने ओम के परिवार बारे में पूछा और उनकी पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी भी बातें की।
रिटायर्ड कर्नल ने भारतीय सेना में जाने के लिए किया प्रेरित
रिटायर्ड कर्नल गणेश बाबू ने ओम की उम्र और पढ़ाई में लगन को देखते हुए सीडीएस के बारे में बताया और भारतीय सेना में जाने के लिए कहा। कर्नल ने अपनी जिंदगी के बारे में भी ओम को बताया, जिससे ओम को काफी प्रेरणा मिली। बीएससी खत्म होने के बाद ओम ने सीडीएस की तैयारी करनी शुरू कर दी। 2016 में उन्होंने पहले ही प्रयास में सीडीएस क्वॉलिफाई भी कर लिया। उन्होंने बताया, 'जब मेरा सेलेक्शन हुआ तो मैंने सबसे पहले उन रिटायर्ड कर्नल को ही फोन किया जिन्होंने मुझे सीडीएस के बारे में बताया था। उन्होंने मुझे कदम-कदम पर मार्गदर्शन दिया।'
मेजर गौरव आर्य का ट्वीट हो रहा वायरल
शनिवार (3 मार्च) को टि्वटर पर मेजर गौरव आर्य ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट किया, “पुणे में एक ओला ड्राइवर गरीबी से लड़ रहा था। वह अपने परिवार का पेट पालने के लिए यह काम कर रहा था। एक दिन उसे एक सवारी मिली, जो कि सेना में कर्नल थे। दोनों के बीच उस दौरान बातचीत हुई। युवा ड्राइवर उनकी बातों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के लिए परीक्षा दी और ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी (ओटीए) ज्वॉइन की। कैडेट ओम पैथाने 10 मार्च को भारतीय सेना के अफसर के नाते मार्च पर निकलेंगे।”
भारतीय सेना ने मेरे अंदर भरा अनुशासन और आत्मविश्वास
ओम कहते हैं कि सेना में भर्ती होने के लिए मिलने वाली ट्रेनिंग ने उनके भीतर अनुशासन और आत्मविश्वास भर दिया है और वह इस पर गर्व करते हैं। वह पुणे के टोंडल गांव के रहने वाले हैं जो कि पुणे-बेंगलुरु हाइवे पर पड़ता है। उन्होंने सीडीएस प्रथम 2016 के एग्जाम में 92वीं रैंक हासिल की थी। पैठाने कहते हैं, 'मैं अभी जिंदगी को एन्जॉय कर रहा हूं। ट्रेनिंग के दौरान मेरे व्यक्तित्व में काफी बदलाव आया और सेना की वर्दी पहनने के बाद जो आत्मविश्वास आता है उसे बयां नहीं किया जा सकता।'
रिटायर्ड कर्नल गणेश बाबू ने बताया कि पैठाने के भीतर काफी आत्मविश्वास था बस उसे सही दिशा की जरूरत थी। इस बार ट्रेनिंग अकैडमी में कुल 257 कैडेट्स पासिंग आउट परेड में शामिल हो रहे हैं।

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