भाई को बचाने के लिए नेशनल लेवल की शूटर ने किडनैपरों पर चलाई गोली

खेल कब हकीकत में बदल जाय, इस घटना को पढ़कर तो आप ऐसा कह ही सकते हैं। शौक के लिए शूटर बनीं आयशा फलक की जिंदगी में ऐसा मौका आया जब वो किसी बोर्ड पर नहीं एक जीते जागते इंसान पर गोली चला दिया। हालांकि आयशा की इस गोली से उस इंसान की मौत तो नहीं हुई, लेकिन उसका निशान इतना अचूक था कि वो अपराधी गोली लगने के बाद टस से मस नहीं हो सका।
ये घटना है दिल्ली की, जब नेशनल लेवल की शूटर आयशा फलक ने बदमाशों को गोली मारकर अपने रिश्ते के भाई को किडनैपरों से छुड़ाया। आयशा का भाई आसिफ दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ता है।
आयशा के भाई को किडनैप कर फिरौती की मांग की गई
आयशा के भाई को किडनैपरों ने किडनैप कर फिरौती की कॉल की जिसके बाद आयशा ने उस बंदूक का इस्तेमाल किया, जिसे वह अपने पर्स में रखा करती थीं। हालांकि वह बहुत घबराई हुई थीं। कॉल आने के बाद किडनैपर्स से एक तय जगह पर फिरौती की रकम पहुंचाने की बात हुई थी। जब इनकी कार पहुंची तो अंदर बैठे दो किडनैपर्स ने फिरौती की रकम लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाए और रकम ले ली। कार का दरवाजा खुलते ही एक युवक बाहर निकला, दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और युवा बंधक को किडनैपरों ने छोड़ दिया। किसी को कुछ समझ आता, अचानक गोली चलने की आवाजें आने लगीं।
आयशा डरीं थीं, लेकिन किडनैपरों को शबक सिखाने को थीं तैयार
33 वर्षीय आयशा फलक के हाथों में .32 बोर पिस्तौल थी, उनके हाथ कांप रहे थे पर इस नेशनल लेवल शूटर ने एक किडनैपर की कमर पर गोली मारी तो दूसरे के पैर में। आयशा के पास लाइसेंसी बंदूक थी, जिसे वह हमेशा पर्स में रखती थीं। उन्होंने अपने 21 वर्षीय रिश्तेदार को बचाने के लिए बंदूक निकाली और गोली चला दी। रिश्तेदार आसिफ को बदमाशों ने करीब 5 घंटे तक बंधक बनाकर रखा था। आयशा के पति फलक शेर आलम ने बताया, 'फिरौती का कॉल आने के बाद आयशा डरी हुई थीं, लेकिन उन्होंने कहा कि वही आसिफ के किडनैपर्स को पैसे देने जाएंगी।'
इस घटना के बाद आयशा की पिस्तौल पुलिस ने अपने कब्जे में ले ली है। पूर्वी रेंज के जॉइंट कमिश्नर रवींद्र यादव ने कहा, 'जांच की जा रही है कि आयशा ने आत्मरक्षा या आसिफ को बचाने के लिए गोली चलाई। अगर ऐसा साबित हो जाता है तो उन्हें कानूनी सुरक्षा मिलेगी। '
आसिफ ऐसे हुआ था किडनैप
आसिफ क्लास के बाद कैब ड्राइविंग कर जेब खर्च निकालता था। उस रात उसे दरियागंज से बुकिंग मिली, वह रफी और आकाश के पिक अप के लिए घर से निकल पड़ा। आधे रास्ते में उन दोनों ने अलग रूट लेने के लिए कहा। आसिफ ने बताया, 'मैंने तुरंत कार रोक दी और आगे जाने से इनकार कर दिया।' इसके बाद उसे आगे की पैसेंजर सीट पर धकेलकर जान से मारने की धमकी दी गई, वॉलिट छीन लिया गया। जब किडनैपर्स के हाथ सिर्फ 150 रुपये लगे तो उन्हें गुस्सा आया और उन्होंने आसिफ को पीटा और परिजनों को कॉल करने को कहा।
रात के 1 बजे आसिफ के फोन से कॉल आई और 25,000 रुपयों के साथ शास्त्री पार्क पहुंचने के लिए कहा गया। पहले परिजनों को लगा कि आसिफ कोई मजाक कर रहा है, लेकिन बाद में पीसीआर कॉल की गई। पुलिस ने पैसों के साथ वहां पहुंचने के लिए कहा। पुलिसवाले सादे कपड़ों में वहां पहुंचे। किडनैपर्स को पुलिस के वहां होने का शक था। आलम कार के पीछे थे और पुलिस भी गुप्त रूप से सादे कपड़ों में कार को फॉलो कर रही थी।
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