इस IAS अधिकारी ने एक रिसर्च के लिए दान कर दिया अपना फ्लैट

इंसान मरने के बाद कहां जाता है, अभी भी ये रहस्य है लेकिन मरने के बाद भी इस धरती पर 'जिंदा' रहना आपके हाथ में है। आप कुछ ऐसा कर जाइए कि आने वाली पीढियां भी आपको अपने दिलों में जिंदा रखे।
ऐसी ही कहानी है मुंबई की पहली महिला कलेक्टर शर्वरी गोखले की। पूर्व आईएएस अधिकारी शर्वरी को विज्ञान और आयुर्वेदिक खोजों में ज्यादा रुचि थी। पिछले साल शर्वरी गोखले की पेट के कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई।
अपनी मौत से पहले वो अपना मुंबई में अंधेरी(वेस्ट) स्थित अपार्टमेंट ब्रेन रिसर्च के नाम कर गईं। अपनी वसीयत में उन्होंने अपना अपार्टमेंट ' सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च(सीबीआर)' के नाम किया है, जो कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साईंसेस, बेंगलुरु की एक स्व–शासित संस्था है।
करीब 3 साल चला उनका इलाज
शर्वरी का करीब 3 साल तक इलाज चला, जिसमे कीमियोथैरेपी और एक सर्जरी शामिल थी। लेकिन जब शर्वरी को लगा कि वे अपनी बीमारी से हार रही हैं, उन्होंने 6 महीनों तक शोध किया कि वे अपने पैसों का सही तरह से उपयोग कर सकती हैं। वे कहती थी कि मेरा पैसा मेरे देश में ही रहना चाहिए और उसे वैज्ञानिक शोध के लिए उपयोग किया जाय, इसलिए उन्होंने सबकुछ सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च के नाम कर दिया।
अपने दोस्तों द्वारा सारी प्रॉपर्टी और पैसा एनजीओ को दान करने के लिए उकसाने के बावजूद, 1974 बैच की उस आईएएस अधिकारी ने सब कुछ 'सीबीआर' को देना तय किया। उनका मानना था कि यह ऐसी संस्था जो उन्हें लगा कि उसका सही उपयोग करेगी। रिसर्च सेंटर के अफसरों का कहना है कि इस दान से उन्हें मानव मस्तिष्क के बारे में ज्ञान बढ़ाने में मदद मिलेगी, खासकर कि उम्र से जुड़े रोगों में।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
