कभी सिम बेचते थे ओयो के मालिक, 23 साल की उम्र में बन गए अरबपति

कहते हैं अगर मेहनत सच्ची हो तो फल भी एक न एक मिलता ही है। जितने भी सफल बिजनेसमैन या कोई और इंसान हैं उसने अपने जीवन में संघर्ष किया ही होगा, ऐसी ही कहानी है ओयो रूम्स के संस्थापक 23 साल के रितेश अग्रवाल की। जिस उम्र में लोग अपने करियर के बारे में सोचना शुरू करते हैं रितेश ने एक कंपनी खड़ी कर दी।
ओेयो के मालिक रितेश अग्रवाल अब अपना बिजनेस चीन तक ले जा रहे हैं। 6.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश फंड के मालिक मासायोशी सन ने चीन में कारोबार शुरू करने में अग्रवाल की मदद की है। किसी भारतीय कंज्यूमर टेक्नोलॉजी कंपनी की चीन में पहुंच बनाना बड़ी बात है। रितेश की कंपनी ने शेनजेन में ऑपरेशन शुरू किया है। इसके बाद इसे 25 और शहरों में ले जाया जाएगा। चीन में उनके कर्मचारियों की संख्या 1 हजार होगी।
टीवी का रिमोट न मिलने से आया ओयो शुरू करने का ख्याल
इस मुकाम तक पहुंचने से पहले रितेश की जिंदगी कैसी थी ये जानकर हम सब हैरान होंगे लेकिन इससे सीख भी मिलती है। रितेश ने जब स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली तो आगे कॉलेज में प़ाई करने से मना कर दिया तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह जल्द ही अरबपति बन जाएगा। कुछ साल पहले रितेश ओडिशा में एक छोटे से कस्बे में सिम कार्ड बेचते थे, लेकिन आज दुनिया से सबसे बड़े निवेशकों में शुमार सॉफ्टबैंक के मासायोशी सन चीन में ओयो रूम्स की एंट्री के साथ इसका पार्टनर बनना चाहते हैं। 2015 में ईटी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि 'क्या आप जानते हैं OYO का पूरा नाम क्या है? 'OnYour Own' है। जब मुझे अपने रिश्तेदारों के घर रिमोट नहीं मिलता था। यहीं से मैंने ओयो के बारे में सोचना शुरू कर दिया था। मेरे रिश्तेदार टीवी सीरियल देखना चाहते थे और मैं कार्टून नेटवर्क देखना चाहता था।'
रितेश के माता-पिता चाहते थे कि वो आईआईटी में दाखिला लें और इंजीनियर बनें। रितेश भी कोटा, राजस्थान में रह कर आईआईटी एंट्रेस एग्जाम की ही तैयारियों में जुटे थे। 2011 में अपनी इंजीनियरिंग की एंट्रेस एक्जाम छोड़कर कारोबारी सफर की शुरुआत करने दिल्ली आ गए। 19 साल के रितेश अग्रवाल महीनों घूमते और बजट होटल में रुकते, ताकि वहां की तमाम चीजों के बारे में जान सकें। अपने अनुभव के बल पर रितेश ने अपने पहले स्टार्ट-अप यात्रा की शुरुआत की, 18 साल की उम्र में रितेश ने ओरावेल स्टे नाम की कंपनी बनाई जो सस्ते और किफायती होटल्स के बारे में जानकारी देती थी। इस बीच वो वैंचर नर्सरी के संपर्क में आए। 3 महीने की ट्रेनिंग के बाद उनको 30 लाख रुपए की फंडिंग मिली। इसके बाद वो पीछे नहीं हटे। 2013 में उन्होंने ओयो की स्थापना की। उनको निवेशक मिलते गए और ओयो रूम्स आगे बढ़ती गई। महज चार साल में कंपनी बहुत तेजी से आगे बढ़ गई। रितेश के OYO Rooms में सॉफ्टबैंक ग्रुप, ग्रीनओक्स, सेक्यूइया कैपिटल और लाइटस्प्रेड इंडिया जैसी कंनियों ने निवेश किया है। रितेश अग्रवाल को साल 2013 में Thiel Fellowship के '20 अंडर 20' के लिए चुना गया था।संबंधित खबरें
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