अपने दम पर लद्दाख की तस्वीर बदल रहे हैं 3 इडियट्स के 'फुंसुख वांगड़ू'

साल 2009 में आमिर खान की एक फिल्म आई थी, '3 इडियट्स'। इस फिल्म में आमिर खान ने जिस किरदार ('फुंसुख वांगड़ू') को निभाया था, वो काल्पनिक नहीं था। दरअसल यह किरदार लद्दाख के रहने वाले इंजीनियर सोनम वांगचुक से प्रेरित था। 3 इडियट्स में आमिर खान ने इन्हीं के जीवन को फुंसुख वांगड़ू के रूप में जिया था।
वांगचुक को 2016 में रोलेक्स अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है।
प्रतिभावान बच्चों के सपने पूरा कर रहे हैं वांगचुक
वांगचुक प्रतिभावान बच्चों जिन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाता है, उनके सपने पूरे करने का काम कर रहे हैं। वह शिक्षा और पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। पिछले 20 वर्षों से वह दूसरों के लिए पूरी तरह समर्पित होकर का काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए एजुकेशनल ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) नाम का संगठन बनाया है।
भाषा बनी मुसीबत तो निकाला उपाय
बचपन में वांगचुक सात साल तक अपनी मां के साथ एक रिमोट लद्दाखी गांव में रहे। यहां उन्होंने कई स्थानीय भाषाएं भी सींखीं। बाद में जब उन्होंने लद्दाख में शिक्षा के लिए काम करना शुरू किया तो उन्हें अहसास हुआ कि बच्चों को सवालों के जवाब पता होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी भाषा की वजह से होती है। इसके बाद उन्होंने स्थानीय भाषा में ही बच्चों की शिक्षा के लिए कवायद करनी शुरू की।
स्थानीय भाषा में कराया पाठ्यक्रम
जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर उन्होंने लद्दाख के स्कूलों में पाठ्यक्रम को यहां की स्थानीय भाषा में करने का काम किया। 1994 में उन्होंने स्कूलों से बाहर कर दिए गए कुछ स्टूडेंट्स को इकट्ठा करके 1,000 युवाओं का संगठन बनाया और उनकी मदद से एक ऐसा स्कूल बनाया जो स्टूडेंट्स द्वारा ही चलाया जाता है और पूरी तरह सौर ऊर्जा से युक्त है। वांगचुक चाहते हैं कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में बदलाव हो। उनका मानना है कि किताबों से ज्यादा स्टूडेंट्स को प्रयोग पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
बर्फीले रेगिस्तान को सुधारा
वांगचुक ने 1988 में लद्दाख के बर्फीले रेगिस्तान में शिक्षा की सुधार का जिम्मा उठाया और स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना की। वांगचुक का दावा है कि सेकमॉल अपने तरह का इकलौता स्कूल है, जहां सबकुछ अलग तरीके से किया जाता है। वह आधुनिक शिक्षा का मॉडल रखने की लगातार कोशिश कर रहे हैं और काफी हद तक इसमें सफल भी हुए हैं। वागंचुक को लद्दाख में बर्फ स्तूप कृत्रिम ग्लेशियर परियोजना के लिए लॉस एंजिलिस में पुरस्कृत भी किया गया है। यह कृत्रिम ग्लेशियर 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसे अनावश्यक पानी को इकटट्ठा करके बनाया गया है।
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