पत्नी से किया वादा निभाने के लिए केवल 10 रुपये में भोजन कराता है यह बुजुर्ग

आपने सरकारों द्वारा अम्मा थाली, इंदिरा थाली जैसी योजनाओं के बारे में सुना होगा। यहां पर सस्ते में खाना जरूरतमंदों को खिलाया जाता है, लेकिन हम आपको जिसके बारे में बताने जा रहे हैं वो खुद अपनी कमाई के पैसे से आम आदमी को केवल 10 रुपये में खाना मुहैया करा रहे हैं। इसके पीछे की कहानी आपको भावुक कर देगी...
मदुरै के अन्ना बस स्टेशन के पास मिलता है 10 रुपये में खाना
तमिलनाडु के मदुरै शहर में 70 साल का एक व्यक्ति आम आदमी के लिए सिर्फ 10 रुपये में भोजन उपलब्ध करवाने का काम कर रहा है। शहर में अन्ना बस स्टैंड के पास स्थित इस होटल को रामू चलाते हैं। इस भलाई के लिए लोग उन्हें खूब सम्मान देते हैं और प्यार से उन्हें 'रामू ताता' बुलाते हैं। रामू 14 साल की उम्र में ही अपने घर से भागकर मदुरै आए थे।
क्या होता है रामू के मैन्यू में?
1967 में रामू और उनकी पत्नी ने इसी जगह पर एक दुकान किराये पर ली थी। रामू के मेन्यू में इडली, डोसा, पोंगल जैसे व्यंजन रहते हैं। इनमें से किसी भी चीज को सिर्फ 10 रुपये में खरीदा जा सकता है। उनके होटल में सिर्फ 10 रुपये में 3 इडलियां मिल जाती हैं। ब्रेकफास्ट के अलावा रामू के होटल में लंच की भी व्यवस्था होती है और वह भी सिर्फ 10 रुपये में ही उपलब्ध करवाया जाता है। उनके होटल में लगभग 300 लोग रोजाना भोजन करने के लिए आते हैं। अगर किसी दिन उनके यहां खाना खत्म हो जाता है तो वह ग्राहकों को पैसे देकर किसी और होटल में खाने के लिए कहते हैं।
क्यों करते हैं ऐसा
कहते है न प्यार करने वाले अंधे होते है, उन्हें दुनिया से कोई मतलब नहीं होता। प्यार करने वाले एक दूसरे से किए वादे हमेशा निभाते है। 10 रुपये में खाना देने की पीछे भी एक प्यार भरी कहानी है। 2005 में रामू की पत्नी का देहांत हो गया था और मरने से पहले रामू की पत्नी ने रामू से आमजन की सेवा करने को कहा था। बस उस दिन से अपनी पत्नी को दिया वादा निभाते हुए रामू ताता अपने होटल में सभी को मात्र 10 रुपये में खाना खिला रहे है। रोजाना रामू ताता के होटल में करीब 300 लोग खाना खाते है।
वर्करों में बांट देते है कमाई का हिस्सा
यही नहीं, रामू अपनी कमाई का हिस्सा अपने यहां काम करने वाले वर्करों से शेयर भी करते हैं और उन्हें नियमित तौर पर वेतन देते हैं। हालांकि काफी सस्ते दाम में भोजन उपलब्ध करवाने की वजह से उन्हें काफी कम कमाई होती है, लेकिन जितनी भी कमाई होती है वह उसे ईमानदारी से वर्करों में बांट देते हैं।
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