मिलिए भारत के 'बर्डमैन' से और जानिए इनकी कहानी

भारत में कुत्ते, बिल्ली, गाय, भैंस, घोड़ा, हाथी के अलावा पक्षियों को भी घरों में पाला जाता है। हमारे देश में ऐसे भी लोग हैं जो पशु-पक्षियों को घरों में कैद नहीं करते हैं लेकिन उनकी देख-रेख, उनके पालन पोषण के लिए अद्भुत काम करते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं हरसुख भाई डोबरिया। गुजरात के सुदूर गांव में इन्होंने 2000 से ज्यादा पक्षियों के साथ अपना एक अविश्वासनीय रिश्ता कायम किया है।
हरसुख भाई, गुजरात के जूनागढ़ जिले के रहने वाले हैं। कुछ वक्त पहले तक हरसुख भाई एक आम आदमी की ही तरह जिंदगी जी रह थे, लेकिन एक दिन उन्होंने खुद को ऐसे काम में झोंक दिया जिसकी वजह से आज उनको 'बर्डमैन' के रूप में जाना जाता है। 70 वर्ष के हरसुख भाई आज हजारों पक्षियों के पेट भरने का एक अनोखा काम कर रहे हैं।
हरसुख भाई उन्होंने पक्षियों के लिए सेंटा क्लाज से कम नहीं हैं जो अपने झोले में हर रोज पक्षियों के लिए दाना भर कर लाते हैं। हरसुख भाई पिछले 17 सालों से इसी तरह हजारों पक्षियों की देखभाल कर रहे हैं। इसकी शुरूआत केवल बाजरे की एक बाली से हुई जिसे उन्होंने अपनी बालकनी में टांगा था। वर्ष 2000 में दुर्भाग्यवश एक दुर्घटना में हरसुख बाई का पैर टूट गया। उसी समय वे अपनी बालकनी में आराम कर रहे थे तभी हरसुख भाई के एक मित्र अपने खेत से कुछ बाजरे की बाली लेकर आए, उनमें से एक को उन्होंने अपने पास में टांग दिया। कुछ देर के बाद वहां एक तोता आ पहुंचा और बाजरे के दाने से अपनी भूख मिटाने लगा।
कुछ ही देर में तोतों का एक बड़ा झुंड वहां इकट्ठा होने लगा। इससे हरसुख भाई थोड़े चिंतित होने लगे क्योंकि उनके लिए बाजरे की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। लेकिन तोतों की बढ़ती हुई संख्या से वे खुश भी थे और उन्होंने सोचा कि इन सबके खाने का कुछ इंतजाम किया जाना चाहिए। इसलिए हरसुख भाई ने पुराने पाइप में छेद करके उनमें और बाजरे की बालियों को फंसा दिया। हरसुख भाई का परिवार भी इस काम में उनके साथ लगा गया, दिन में दो बार पाइप में बनी जाली की बाजरे की बाली बदलता और हजारों पक्षियों को दावत दी जाती।
हरसुख भाई ने अपनी 10 एकड़ जमीन इन हजार पक्षियों को दाना चुगने के लिए छोड़ रखी है। जहां करीब 10 हजार पक्षी दाना चुगने आते हैं। हरसुख भाई का कहना है कि पहले साल उन्होंने 1 हजार रुपये की बाजरे की बाली ली, इसके बाद पक्षियों की संख्या बढ़ती गई फिर 8 साल तक 1 लाख रुपये का बाजरे की बाली खरीदी। हरसुख भाई डोबरिया को पक्षियों के इस प्रेम और संरक्षण के लिए राष्ट्रपति सृष्टि सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
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