मिलिए, नक्सल इलाके में पोस्टेड पहली महिला CRPF ऑफिसर उषा किरण से

चुनौतियां तो जीवन में हर कदम पर है, लेकिन अगर आप अपनी चुनौती का रास्ता खुद तय करते हैं तो उसकी बात ही अलग होती है। ऐसी ही कहानी है बस्तर की पहली महिला CRPF ऑफिसर उषा किरण की, जो रहने वाली तो गुड़गांव की हैं लेकिन उन्होंने अपनी पोस्टिंग नक्सल प्रभावित इलाके में चुनी।
खुद किया बस्तर जिले में काम करने का फैसला
गुडगांव में रहने वाली उषा किरण ट्रिपल जंप की राष्ट्रीय चैंपियन हैं। अपने दादा, पिता और भाई के पद चिन्हों पर चलते हुए उषा किरण ने सीआरपीएफ ज्वाइन किया। उषा ने अपनी स्वेच्छा से तीन जगहों में से बस्तर का चुनाव किया।
आये दिन होते रहते हैं नक्सली हमले और भिड़ंत
आपको बता दें, छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले से आये दिन नक्सली हमले और भिड़ंत की खबरें आती रहती हैं। इस बीच नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में पहली बार किसी महिला ने सीआरपीएफ बटालियन-80 में असिसटेंट कमांडेंट के पद पर कार्यभार संभाला है। बताया जा रहा है किसी महिला अधिकारी के पदभार संभालने से वहां के सुरक्षा बलों को मनोबल तो मिला ही है साथी ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
उषा अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी की अधिकारी हैं
असिसटेंट कमांडेंट उषा किरण सीआरपीएफ में अपने परिवार से तीसरी पीढ़ी की अधिकारी हैं। उषा के दादा दीपचंद और पिता विजय सिंह भी CRPF में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इतना ही नहीं, उनके भाई दर्शन सिंह भी CRPF में सेवारत हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि रक्षाबलों के लिए सेवा देना उनके खून की एक-एक बूंद में शामिल है।
पुलिस की वजहों से रहा सुर्खियों में
भारतीय सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ में कथित तौर पर गलत हरकत के लिए सुर्खियों में रहे थे। दो दिन पहले छपी इस खबर ने पूरे भारत में सनसनी फैला दी थी। नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन ने खुद इस मामले पर रिपोर्ट बनाई थी। जिसमें साफ तौर पर बताया गया था कि सुरक्षा बलों द्वारा 16 आदिवासी लड़कियों से बलात्कार किया गया है। घटना स्टेट पुलिस और सीआरपीएफ के जॉइंट ऑपरेशन की है। अक्टूबर 2015 में एक ऑपरेशन में इसी गांव की 16 आदिवासी लड़कियों से बलात्कार किया गया था। ऐसी ही तमाम घटनाएं अक्सर इसी इलाके से सुर्खियां बटोरती रहती हैं।
आदिवासी महिलाओं के लिए बनीं फरिश्ता
बस्तर में मौजूद डरी सहमी आदिवासी महिलाओं के लिए उषा किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। उषा का कहना है बस्तर आना एक बहुत कठिन चुनौती है लेकिन ये चुनाव उनकी स्वेच्छा से था। जॉइनिंग के समय पर उन्हें तीन जगहों का विकल्प मिला था। बस्तर आने का चुनाव इसलिए किया क्योंकि यह नक्सली प्रभावित इलाका है। यहां पर उग्रवादी घटनाओं और गरीबी के कारण विकास नहीं हो पाया है। इस इलाके में आना चुनौती के साथ-साथ मेरे लिए प्रेरणा भी है। दरभा पुलिस स्टेशन के ऑफिसर इंचार्ज और अन्य अधिकारी उषा किरण की तैनाती पर गर्व जताते हैं। आशा है ऐसी कुछ तैनातियों से बस्तर की तस्वीर जल्द बदलेगी।
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