मिलिए, यह हैं देश की पहली महिला टनल इंजिनियर

भारत में महिलाओं को बराबरी का हक अभी नहीं मिला है। कहीं मौके नहीं हैं तो कहीं खुद औरतों को नहीं पता कि कुछ फील्ड्स उनके लिए भी हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में ऐनी रॉय की खबर पढ़कर ऐसा ही अहसास होता है। 2016 में भले ही हम काफी आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन खुश से ज्यादा हैरान करता है कि ऐनी देश की पहली महिला टनल इंजिनियर हैं। न जाने कब तक हम इस पहली, दूसरी और तीसरी की खाईं ही पाटते रहेंगे और कब तक यूं ही अधूरे हक का जश्न मनाते रहेंगे। फिलहाल, आपको आज हम ऐनी के बारे में बताते हैं और यह भी बताते हैं कि ऐनी का सफर कैसा रहा।

एक जर्मन इंजिनियर और मेरे बॉस ने तय किया कि मुझे उसका एक नट खोलना है। मैं काम पर लगी और इससे पहले की मैं सोच पाती कि मैं कर क्या रही हूं, मेरा मुंह तेल से पुत चुका था। एक कॉलीग ने कहा, अब चेरहा ताउम्र चमकेगा।
लोग कैसे रिऐक्ट करते हैं
दिल्ली मेट्रो में जॉब का पहला दिन था। ऐनी याद करती हैं, 'कंस्ट्रक्शन साइट पर पहुंची तो कुछ ऐसा सुनना पड़ा कि ये जरूर ही कोई विजिटर होंगी।' साइट पर मौजूद करीब 100 मर्द यकीन नहीं कर पा रहे थे कि एक लड़की भी टनल इंजिनियर हो सकती है। न पढ़े-लिखे इंजिनियर्स, न ही मजदूर। ऐनी बताती हैं, 'कुछ देर बाद ही मेरे सामने एक बड़ी मशीन थी, जिससे जमीन तोड़ने का काम किया जाना था, लेकिन वह फंस गई। एक जर्मन इंजिनियर और मेरे बॉस ने तय किया कि मुझे उसका एक नट खोलना है। मैं काम पर लगी और इससे पहले की मैं सोच पाती कि मैं कर क्या रही हूं, मेरा मुंह तेल से पुत चुका था। एक कॉलीग ने कहा, अब चेरहा ताउम्र चमकेगा।' 35 साल की ऐनी ने यह किस्सा दक्षिण भारत की पहली अंडरग्राउंड मेट्रो के उद्घाटन से पहले सुनाया।
एक महिला से पहली महिला तक...
ऐनी बेंगलुरु की अकेली महिला हैं, जिन्होंने सुरंग खोदने वाली मशीन को चलाया है। इसी मशीन से हाल ही में सम्पीज रोड से लेकर मजेस्टिक तक अंडरग्राउंड बोरिंग का काम किया गया है। ऐनी मानती हैं कि वह उनकी सुरंग है क्योंकि जब मई 2015 में उन्होंने असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉरपोरेशन जॉइन किया था, टनल बोरिंग मशीन खराब हो चुकी थी। इसके बाद ऐनी रोज टनल के भीतर 8 घंटे काम करती थीं।
ऐनी की जिंदगी इतनी आसान नहीं रही। वह नागपुर यूनिवर्सिटी से मकैनिकल इंजिनियरिंग करना चाहती थीं, लेकिन पिता की मौत हो गई। घर का खर्च उठाने के लिए उन्हें नौकरी करनी पड़ी। ऐनी ने बताया, 'दिल्ली मेट्रो मे कॉन्ट्रैक्टर सेम्बो ने मुझे जॉब ऑफर की और मैंने 2007 में नौकरी जॉइन कर ली। 2009 में मैंने चेन्नै मेट्रो जॉइन की और 2014 में छह महीने के लिए दोहा चली गईं।' हालांकि, कतर से उनका वीजा तीन बार रिजेक्ट किया गया क्योंकि वहां अविवाहित लड़कियों का जाकर काम करना मना है पर वह भी डटी रहीं और आखिरकार वीजा ले ही लिया।
औरतें चलाएं टनल बोरिंग मशीन
ऐनी बताती हैं कि वह अपने काम, अपने प्रफेशन से बहुत खुश हैं और मानती हैं कि औरतों को हर उस प्रफेशन में काम करने की जरूरत है, जिसे पारंपरिक तौर पर पुरुषों का प्रफेशन माना जाता है। वह कहती हैं, 'मेरी चाहत है कि औरतें टनल में काम करें और टनल बोरिंग मशीनें चलाएं।' टीम इंडियावेव की तरफ से ऐनी को ढेर सारी शुभकामनाएं। हम दुआ करते हैं कि ऐनी की मुराद जल्द पूरी हो और देश में वाकई में औरतें बराबरी का दर्जा हासिल करें।
नोट: ऐनी की कहानी पढ़ने के बाद आदतन हमने उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खोजा। मिल गईं, लेकिन ऐनी सिन्हा रॉय। उनकी प्रोफाइल से हमने दो तस्वीरें भी लीं। कुछ जानकारी और मिली। मसलन, वह कोलकाता की मूल निवासी हैं और पढ़ाई उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही की। ऐनी से बात होते ही हम खबर अपडेट करेंगे।
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