इस बेटी ने बनाई ऐसी जैकेट, अब बाइक दुर्घटना में नहीं जाएगी जान
हिमाचल प्रदेश की बेटी ने अपने हुनर का जौहर दिखाते हुए लोगों की जान बचाने वाला एक जैकेट तैयार किया है। सुंदरनगर की बेटी प्रगति शर्मा ने सड़क हादसे के लिए जीवनदायनी जैकेट बनाया है। लाइफ सेविंग जैकेट की कामयाबी का डंका अब देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बजने वाला है। उन्होंने ऐसी जैकेट तैयार की है जो कि बाइक दुर्घटना होने पर चालकों की जान बचाएगी ऐसा दावा किया जा रहा है।
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प्रगति ने यह जैकेट अपने संस्थान के प्रोजेक्ट के दौरान तैयार की है। वह राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर गुजरात में अध्ययन कर रही हैं। अध्ययन के दौरान उनके द्वारा खोजी गई लाइफ सेविंग जैकेट को जीवन सुरक्षा बाइक वायु जैकेट नाम दिया है। इस जैकेट को बनाने के उपरांत प्रगति ने संस्थान में प्रथम 5 छात्र-छात्राओं में स्थान पाकर पुरस्कार प्राप्त किया है। लोगों तक यह जैकेट पहुंचाने के लिए इसका न्यूनतम रेट रखा गया है ताकि अधिक से अधिक लोगों तक यह जैकेट पहुंच सके, जिससे अधिक से अधिक लोग इस जैकेट का लाभ उठा सके।
सहपाठी की मौत के बाद मिली प्रेरणा
प्रगति शर्मा ने बताया कि उनके एक सहपाठी की चंडीगढ़ में बाइक दुर्घटना मौत हो गई थी। दोस्त की मौत का मुझे बहुत बड़ा सदमा पहुंचा था। उसी दिन प्रगति ने ऐसी जैकेट तैयार करने की सोची जो कि इसके बाद वह अपने प्रोजेक्ट की तैयारी में जुट गई। प्रगति ने बताया कि 3 महीने के कड़े परिश्रम के बाद जीवन सुरक्षा बाइक वायु जैकेट को तैयार किया गया है। प्रगति की इस उपलब्धि से सुंदर नगर और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर का नाम पूरे देश भर में रोशन हुआ है। प्रदर्शनी में रखी जाएगी जैकेट प्रगति ने बताया कि अगस्त माह में उनके द्वारा तैयार की गई जैकेट दिल्ली में प्रदर्शनी हेतु शो केस में रखी जाएगी, इस प्रदर्शनी में वस्त्र उद्योग मंत्री स्मृति ईरानी भी मौजूद रहेंगी।
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प्रगति ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता भाई व संस्थान के शिक्षकों को दिया है। प्रगति ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय माता रजनी शर्मा, पिता सुदेश कुमार शर्मा और भाई प्रशांत के साथ संस्थान के शिक्षकों को दिया है। प्रगति की माता रजनी शर्मा ने बताया की मैं बेटी प्रगति की कामयाबी से बहुत खुश हूं। बेटी ने लेगें की जान बचाने के लिए एक ऐसी जैकेट तैयार की है जो कि लोगों की जान बचाने में सहायक होगी। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में बेटी 24 घंटे में से 20 घंटे तक जैकेट तैयार करती थी।
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