37 साल तक रोज किया एक ही काम, और गलत हो गई ये मशहूर कहावत

बड़ी मशहूर कहावत है, 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता'। यानी, अकेला इंसान दुनिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं कर सकता। लेकिन नजरें दौड़ाएं तो हकीकत इस कहावत से कुछ अलग नजर आएगी। इस कहावत को गलत साबित किया है माजुली द्वीप के पद्म श्री जाधव पेंग ने। जाधव ने पर्यावरण के लिए जो किया वो अकल्पनीय है।
एक व्यक्ति रेगिस्तानी इलाके में हर दिन एक पेड़ लगाने के लिए निकालता है। यह काम वो बिना थके लगातार करता रहता है और 37 साल बाद इसका नतीजा दुनिया को ताज्जुब में डाल देता है।
साल 1979 में जाधव ने माजुली द्वीप की अलग-अगल जगहों पर जाकर हर दिन एक पेड़ लगाने का संकल्प किया। जाधव हर दिन अपना झोला उठकर निकाल जाते थे अपने मिशन पर। कोई नहीं जानता था कि वो क्या कर रहे हैं। लेकिन जाधव मरुस्थल के बीच हरी भूमि के बीज बोते जा रहे थे। यह शुरुआत थी एक वन्य जीवन की।
मरुस्थल के बीच पौधारोपण का आसान नहीं था लेकिन जाधव का इरादा बेहद मजबूत था उन्हें हर दिन 37 साल तक पौधारोपण काम जारी रखा। इस कड़ी मेहनत का नतीजा अद्भुत आना ही था और ऐसा ही हुआ। जाधव एक-एक पेड़ मिलकर एक विशाल जंगल में तब्दील हो गया। एक ऐसे हरे-भरे जंगल में जो संट्रेल पार्क के मुकाबले आकार में दोगुना है।
हरे-भरे जंगल बनने का नतीजा ये हुआ कि यहां जनवारों ने अपना आशियाना तलाशना शुरू कर दिया। आज यहां तकरीबन 115 हाथी प्रवास करते हैं। इसके अलावा, बाघ, गेंडा और हिरन भी यहां पाए जाते हैं। यह जंगल 1,359 एकड़ के क्षेत्रफल में फैल चुका है। माजुली द्वीप आज एक ऐसे हरे-भरे स्थान में बदल चुका है जहां का शानदार मौसम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम कर रहा है। माजुली भारत के ब्रह्मपुत्र नदी, असम में स्थित है। यह देश का पहला द्वीप जिला है।
इंडियावेव जाधव पेंग की इस कड़ी मेहनत सलाम करता है। जिन्होंने पर्यावरण को बचाने और बनाने के लिए अकल्पनीय काम किया है। अगर आप भी इस बात में विश्वास रखते हैं कि हर बड़े काम की शुरुआत एक छोटी सी कोशिश से शुरू होती है जिससे एक बड़ा आसर पड़ सकता है तो जाधव पेंग की इस कहानी को जरूर शेयर करें।
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