एक डॉक्टर जिसने नौकरी छोड़ शुरू की सूखे के खिलाफ मुहिम, बनवा चुके हैं 11 बांध
हर साल सूखा देश के कई हिस्सों के किसानों की मौत का कारण बनता है। सालों बंजर पड़े खेत की वजह से कई किसानों को पलायन करना पड़ता है। इस परेशानी को समझा है डॉ अनिल जोशी ने और वो कई सालों से गाँवों को हरा भरा करने की मुहिम चला रहे हैं।
डॉ अनिल जोशी वैसे तो आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं लेकिन उन्होंने डॉक्टरी छोड़कर जल सरंक्षणवादी बनने का फैसला किया। डॉ अनिल जोशी ने गरीब किसानों की मदद करने का बीड़ा उठाया और किसानों को इकट्ठा कर उनकी मदद से नदी और नालों के किनारे बांध बनवा दिए।
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इस मुहिम की शुरुआत हुई मध्यप्रदेश के फतेहगढ़ से वहां पर अनिल जोशी ने किसानों के लिए 10 किमी की परिधि में बांधों का निर्माण कराया है, जिससे कई गांवों के खेतों को पर्याप्त पानी मिल रहा है। फतेहगढ़ को चुनने के पीछे कारण था कि डॉ अनिल जोशी 1998 में पहली बार फतेहगढ़ गए थे डॉक्टरी के लिए और वहां की गरीबी इतनी ज्यादा थी कि मरीज फीस नहीं दे पाते थे और इसके पीछे का कारण था खेती में फायदा न होना। गाँव के ज्यादातर लोगों की आय का स्त्रोत खेती था लेकिन सूखे के कारण उनकी फसल बर्बाद हो जाती थी और उनके हाथ कुछ नहीं आता था। इस क्षेत्र में जमीन से भी पानी नहीं निकलता,जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। 2008 में जब मानसून नहीं आया और डॉ अनिल ने देखा कि किसान सूखे से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं तो उन्होंने सुझाव दिया कि हम चेक बांध बनाएंगे, जिससे बारिश का पानी एक जगह इकठ्ठा होगा और जमीन का जलस्तर बढ़ेगा।
और ऐसे बना चेक बांध
डॉ अनिल ने चेकबांध बनाने के लिए अपने एक दोस्त से 1000 सीमेंट की बोरियां लीं और उन्हें बालू से भरकर सोमाली नदी के किनारों पर रखकर बांध बना दिया। जब 15 दिन बाद बारिश हुई तो बांध पानी से लबालब भर गया और सालों से सूखे पड़े हैंडपम्प पानी देना शुरू हो गए। जमीन का जलस्तर अब पानी देने तक बढ़ गया था। डॉ अनिल ने द वीकेंड लीडर को बताया, ” किसानों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, उस बरस खेतों को पर्याप्त पानी मिला और कई सालों के सूखे के बाद वो साल खेतों से अनाज घर लेकर आई।”
डॉ अनिल ने देखा कि उनकी इस मुहिम से कई लोगों की जिंदगियां बदल रही हैं और उन्होंने इस कोशिश को अभियान में बदलने की ठानी। उन्होंने आस-पास के सूखे से प्रभावित गांवों में भी बांध बनवाने का फैसला किया। 2010 में उन्होंने हर ग्रामीण से एक रुपया लेना शुरू किया, जैसे ही उन्होंने बांध बनाने के लिए एक रुपया चन्दा देने की बात कही, उन्हें पहले 3 घण्टे में ही 36 रुपये मिल गए। अगले दिन उनके पास 120 लोगों ने एक एक रुपये का चन्दा इकठ्ठा हो गया।
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अब तक 11 बांध बनवा चुके हैं
तीन महीने में डॉ अनिल की टीम ने 1 लाख रुपयों का सहयोग इकठ्ठा कर लिया और अब जल सरंक्षण के लिए समर्पित इस ग्रुप ने एक स्थाई चेक बांध का निर्माण शुरू कर दिया। गाँव वालों ने लेबर का काम किया ताकि लेबर का खर्च बचे। सबके सहयोग से बांध बनाने का कुल खर्च 92 हज़ार रूपये आया। डॉ अनिल जोशी ने इस तरह के 11 बांध बनवा दिए हैं। कई गांवों में हरियाली लाने वाले डॉ अनिल जोशी ने बताया कि अब उनका इरादा इस तरह के पक्के बांधों की संख्या 100 तक पहुँचाने का है।
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