स्वच्छता के प्रति समर्पित है एम. दामोदरन का जीवन

अटल जी की सरकार में देश का पहला खुले से शौच मुक्त घोषित गांव दामोरन के सहयोग से ही मुक्त हुआ था। उन्होंने गांव में कार्ययोजना बनाकर पूरी टीम के साथ लगकर काम किया था। जिसका नतीजा रहा कि देश का पहला गांव आज से 14 साल पहले ही ओडीएफ घोषित हो गया था। संस्था ने 2003 में भारत सरकार की तरफ से घोषित किए गए तिरुचिरापल्ली जिले में 62 घरों की बस्ती थंडावपट्टी में अभियान चलाकर ओडीएफ बनाने का प्रयास किया था। तब से यह संस्था लगातार स्वच्छ अभियान के लिए काम कर रही है।
‘ग्रामालय’ दक्षिण भारत में कर रहा गंदगी दूर
स्वच्छता का महत्व गांव-गांव समझाकर लोगों को जागरुक बनाने का काम ग्रामालय कर रहा है। संस्था की तरफ से 2003 में शुुरू की गई मुहीम आज गांवों और झुग्गी बस्तियों में संपूर्ण सफाई का अभियान चला रही है। संस्था के प्रयासों का असर यह रहा है कि अब तक 47 गांव तथा 100 झुग्गी बस्तियों को खुले में शौच से मुक्त बनाने में मदद कर चुका है।
इस तरह दामोदरन करते हैं काम
दामोदरन की संस्था तिहरी रणनीति पर काम करती है। शौचालयों, सुरक्षित पीने का पानी और साफ-सफाई की शिक्षा के जरिए स्वास्थ्य सशक्तीकरण और आजीविका के साधनों को बढ़ावा देकर आर्थिक तौर पर ताकतवर बनाना, जो आखिरकार उन्हें सामाजिक तौर पर भी ताकतवर बनाता है। ‘ग्रामालय’ के संस्थापक और निदेशक एस. दामोदरन ने बताया कि गांवों में या घरों में शौचालय बनवाने की बात को ग्रामीणों ने सहजता से स्वीकार नहीं किया, जबकि समस्या वे खुद ही जूझ रहे थे। वह बताते हैं कि ग्रामीणों के साथ इस दिशा में कई चरणों में काम होता है। पहले तो लोगों को शौचालय न होने के चलते पनपने वाली समस्याओं के बारे में जागरूक किया जाता है। इसके बाद उन्हें इस बात का अहसास कराया जाता है कि इन समस्याओं को दूर करने के लिए कौन से कदम उठाए जा सकते हैं। तीसरे चरण में गांव वालों के साथ मिलकर एक पूरा सहयोगी तंत्र तैयार किया जाता है। तब कहीं जाकर चैथे चरण में शौचालय आदि के निर्माण का काम शुरू होता है।
शौचालय निर्माण के लिए देते हैं लोन
गृहणी अगर जागरुक है और वह शौचालय का निर्माण कराना चाहती है तो ऐसी स्थिति में दामोदरन उसे बाधा नहीं आने थे। वह उसकी मदद किसी न किसी प्रकार से कर ही देते है। वह संस्था ‘ग्रामालय’ के माध्यम से महिला स्वयं-सहायता समूहों (वुमन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स) को लोन देते हैं। यह लोन घर में शौचालय बनवाने, स्नानगृह बनवाने या फिर पानी की लाइन डलवाने जैसे कामों के लिए मिलता है। लोन की राशि से होने वाला निर्माण कार्य भी ‘ग्रामालय’ की निगरानी में होता है। समूह के सदस्य जरूरतमंदों के बीच लोन की राशि वितरित कर देते हैं। उनकी तरफ से दिया जाने वाला लोन 2 साल की अवधि के लिए दिया जाता है और इसकी ब्याज दर भी कम रहती है। इस प्रोग्राम के पहले तक औपचारिक रूप से इस तरह के कामों के लिए लोन नहीं मिलता था। अनौपचारिक रूप से जो लोन मिलता था, उसकी ब्याज दर अधिक हुआ करती थी। इस वजह से सामान्य और जरूरतमंद लोग कर्ज लेने से कतराते थे।
उत्तर भारत में दामोदरन से शुरु किया काम
स्वच्छता के प्रति अपना जीवन समर्पित करने वाले दामोदरन दक्षिण भारत (केरल छोड़कर) के साथ ही साथ अब उत्तर भारत में भी अपनी दस्त दे चुके हैं। वह उत्तर भारत के 5 राज्यांे में एक साथ काम करके भारत को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए मदद कर रहे हैं। यहां पर भी ऐसे ही ओडीएफ बनाने के लिए उनकी तरफ से लोन दिया जा रहा है। उनका फोकस सिर्फ गांव ही होते हैं। उनकी संस्था ग्रामीणों को स्वच्छता की हकीकत बताती है। इसके अलावा उनकी हर संभव मदद करती है।
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