देश के जलपुरुष को जानते हैं आप? राजस्थान के 1058 गांवों में बना चुके हैं 8600 वॉटर टैंक

70 के दशक में अपने स्कूल के दिनों में राजेंद्र सिंह सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़े थे, जिसका नेतृत्व लोकनायक जय प्रकाश नारायण कर रहे थे। अपने पढ़ाई खत्म करने के बाद ने राजेंद्र सिंह जयपुर में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में वालंटियर का काम करने लगे।
1981 में उनकी शादी के सिर्फ डेढ़ साल बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी और घर का सारा सामान बेच दिया, जिससे उन्हें 23 हजार रुपए मिले। इसी पैसे से उन्होंने अपना काम शुरू किया। अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने तरुण भारत संघ की स्थापना की और उनकी व गांव वालों की मदद से पुराने जोहड़, जिनमें बारिश का पानी इकट्ठा किया जाता है, को ठीक करना शुरू कर दिया।

शुरुआत में कुछ लोगों ने उनका यह कहकर मजाक उड़ाया कि इन छोटे-छोटे पोखरों से कितने लोगों की प्यास बुझेगी? कितने खेतों को पानी मिलेगा? लेकिन राजेंद्र सिंह ने अपनी कोशिश जारी रखी। जल संचय पर काम बढ़ता गया। इसके बाद गांव-गांव में जोहड़ बनने लगे और बंजर धरती पर हरी फसलें लहलहाने लगी।
गांव वालों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, राजेंद्र सिंह ने 1985 में गोपालपुर गांव में जल संचय के जरिए ग्रामीण विकास और रोजगार निर्माण गतिविधियों की शुरुआत की। राजस्थान के 9 जिलों के 1058 गांवों में 6500 स्क्वॉयर किलोमीटर में वह अब तक 8600 जोहड़ बना चुके हैं। उनकी कोशिशों से राजस्थान की पांच ऐसी नदियां जो लगभग सूख चुकी थीं , उनमें फिर से पानी आ गया।
1995 में उन्होंने जयपुर के गलटा से उत्तरकाशी में गंगोत्री तक नदियों की पवित्रता और स्वच्छता को व पहाड़ों की हरियाली को बचाए रखने के लिए नदी बचाओ पहाड़ बचाओ यात्रा की। 1996 में उन्होंने जल बचाओ जोहड़ बचाओ कैम्पेन चलाया।
2002 में उन्होंने दिल्ली के राजघाट से 30 राज्यों को कवर करते हुए 144 नदी के घाटों से होते हुए राष्ट्रीय जल यात्रा की। इस यात्रा के दौरान देश के पांच हिस्सों में नेशनल वॉटर कांफ्रेंस आयोजित कीं। इस यात्रा का उद्देश्य देश की जनता को पानी से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूक करना था। पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले राजेंद्र सिंह ने पेड़ों को बचाने के लिए, अरावली पहाड़ियों को बचाने के लिए व औषधीय पौधों के फायदे के बारे में बताने का काम भी किया।
राजेंद्र सिंह का तरुण भारत संघ लगातार ग्रामीण विकास के लिए काम कर रहा है। इस काम के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं
- वर्ष 1998 में राजेंद्र सिंह को उनके प्रयासों के लिए द वीक पत्रिका ने मैन ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया था।वर्ष 2005 में ग्राम विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में योगदान देने के लिए जलपुरुष को भारत के सबसे प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार दिया गया।वर्ष 2008 में गार्डियन ने उन्हें 50 ऐसे लोगों की सूची में शामिल किया था जो पृथ्वी को बचा सकते हैं।राजेंद्र सिंह को सामुदायिक नेतृत्व के लिए सन 2011 में एशिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार रैमन मैग्सेसे से नवाजा गया। वर्ष 2015 में राजेंद्र सिंह को पानी का नोबेल माने जाने वाले पुरस्कार स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित किया गया। इसे एशिया में नोबेल पुरस्कार के रूप में देखा जाता है।राजेंद्र सिंह को वर्ष 2016 में ब्रिटेन से अहिंसा पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है।
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