पैदल घूमकर रक्तदान के लिए जागरूकता फैला रहा है ये शख्स

सही समय पर खून न मिलने से दुनिया भर में लाखों लोग अपनी जान गवां देते हैं। सिर्फ भारत में ही हर साल 12,000 से भी ज्यादा लोगों की खून की कमी के कारण जान चली जाती है। जबकि 6,00,000 यूनिट खून ब्लड बैंक और अस्पतालों के बीच तालमेल न होने के कारण बर्बाद हो जाता है। इस अंतर को खत्म करने और लोगों को रक्तदान के बारे में जागरूक करने के लिए 33 साल के किरण वर्मा एक सफर पर निकल पड़े हैं।
किरण ने इसी साल 26 जनवरी से अपना सफर श्रीनगर के लाल चौक से शुरू किया। वह सिंप्ली ब्लड संस्था के संस्थापक हैं। श्रीनगर से चलकर अब तक वह 6000 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर चुके हैं। वह अब तक उदयपुर, वडोदरा, चेन्नै और बेंगलुरु पहुंच चुके हैं। अब वह केरल पहुंचे हैं। किरण चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रक्तदान के लिए बनाए गए डेटाबेस से जोड़ सकें जिससे जरूरत पड़ने पर आसानी से खून मिल सके। वह कहते हैं कि वह अपने सफर के दौरान कम से कम 1.5 लाख लोगों को डेटाबेस से जोड़ना चाहते हैं। वह लोगों को रक्तदान को व्यापार बना चुके दलालों से बचने के लिए भी सतर्क करते हैं।
जब मिली सही दिशा
किरण हमेशा से समाज के लिए कुछ करना चाहते थे। वह बताते हैं कि पहली बार उन्होंने अपने टीचर को जरूरत पड़ने पर खून दिया था, यह सोचकर कि उन्हें मार्क्स अच्छे मिलेंगे लेकिन टीचर के परिवार का व्यवहार देखकर उनका रक्तदान के प्रति नजरिया बदल गया। उसके बाद से वह रक्तदान करते हैं और अपनी जानकारी लोगों को देते हैं ताकि खून की जरूरत पड़ने पर वह मदद कर सकें।
खून की जरूरत का भी उठाया जाता है गलत फायदा
दिसंबर 2016 में उन्हें पता लगा कि किस तरह से खून की जरूरत का गलत फायदा उठाया जाता है। उन्होंने बताया, 'एक महिला ने नई दिल्ली के सरकारी अस्पताल से मुझसे संपर्क किया। रक्तदान के बाद मैं उस परिवार से मिला तो पता चला कि उसके लिए उन्होंने पैसे दिए थे। मुझे यह जानकर हैरैनी हुई कि परिवार की एक महिला खून खरीदने के लिए पैसों का इंतजाम करने को देह-व्यापार में उतर गई थी जबकि हम मुफ्त में रक्तदान कर रहे थे। जिस व्यक्ति ने मुझसे संपर्क किया था वह दलाल था।'
जनवरी 2017 में शुरू किया था सिंप्ली ब्लड
उस वक्त किरण को सिंप्ली ब्लड शुरू करने का आइडिया आया और जनवरी 2017 में यह शुरू हो गया। इस ऐप के जरिये डोनर्स का डेटाबेस रखने के अलावा सबसे नजदीकी डोनर का पता भी लगाती है। इससे जरूरतमंद व्यक्ति को सीधे अपने नजदीकी डोनर के बारे में पता चल जाता है। लॉन्च होने के बाद से यह ऐप 11 देशों में 2,000 डोनेश्नस का जरिया बन चुका है।
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