मानसिक रूप से बीमार पत्नी की तलाश में चलाई 8,000 Km साइकिल

करीब 9 महीने पहले उत्तर प्रदेश में हापुड़ के पास गढ़मुक्तेश्वर के ब्रजघाट से तपेश्वर सिंह का पत्नी लापता हो गईं। मानसिक रूप से बीमार तपेश्वर की पत्नी को कुछ भी पता नहीं चला, उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। और जैसा होता है पुलिस अपने मुताबिक खोज में जुट गई! इस बीच तपेश्वर ने अपने तरीके से तलाश शुरू की और इन 9 महीनों में करीब 8000 किलोमीटर साइकिल चलाने के बाद आखिरकार उनकी पत्नी मिल ही गई।
ऐसे मिले तपेश्वर और बबिता फिर बिछड़ गए
करीब चार साल पहले ब्रजघाट की एक धर्मशाला में तपेश्वर बबिता से मिले। बबिता को उनके घरवालों ने 4 साल पहले यहां छोड़ दिया था क्योंकि परिवार के मुताबिक बबिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। उस वक्त बबिता की दिमागी हालत ठीक नहीं थी, तब वहीं चाय की दुकान करने वाले लोकेश और उसकी पत्नी के कहने पर उसने बबिता को अपने यहां आसरा दिया और उससे शादी कर ली। तपेश्वर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी उन्होंने गृहस्थी चलाने के लिए तमाम काम किए और घर चलने लगा। पर इसी साल मार्च के महीने में एक दिन बबिता गायब हो गईं।
तपेश्वर ने शुरू की पत्नी की तलाश
पत्नी बबिता के गायब होने के बाद 40 वर्षीय तपेश्वर ने उनकी खोज शुरू की। उसने पहले ब्रजघाट और उसके आसपास के गांवों में उसकी तलाश की, लेकिन जब वहां उसका कोई पता नहीं चला तो उसने पुलिस में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई। मार्च में तपेश्वर, बबिता को तलाश करता हुआ मेरठ पहुंचा था। वहीं उन्होंने अपनी पत्नी का पोस्टर साइकिल पर लगाकर एक शहर से दूसरे शहर तलाश शुरू कर दी। वो करीब 35 से 40 किलोमीटर साइकिल चलाते रहे। इसी बीच तपेश्वर को खबर मिली कि उनकी पत्नी के मेरठ के रेड लाइट एरिया में हैं। तलाश के दौरान तपेश्वर को पता चला कि उसकी पत्नी यहां आई जरूर थी, लेकिन उसकी दिमागी हालत ठीक न होने के कारण वापस भेज दिया गया था।

इसके बाद तपेश्वर को जब भी अपनी पत्नी के बारे में कहीं से सूचना मिलती वो उसकी तलाश में साइकिल से निकल पड़ते। तपेश्वर का यह तप रंग लाया। इस महीने 13 नवंबर को उन्हें एक फोन आया। फोन करने वाले शख्स ने बताया कि उसने बबिता को हरिद्वार में भीख मांगते देखा है। तपेश्वर फौरन मेरठ से हरिद्वार पहुंचे और बहुत खोजने के बाद बबिता उन्हें दिखाई दीं। पत्नी बबिता को सामने देखकर तपेश्वर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसके बाद वह बबिता को लेकर वापस ब्रजघाट आ गया। तपेश्वर का कहना है कि अब वह बबिता को कभी अकेले नहीं छोड़ेगा।
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