पढ़िए, देश की पहली दृष्टिहीन डॉक्टर कृतिका पुरोहित के संघर्ष की कहानी

जब वो तीसरी क्लास में थी तो उन्होंने डॉक्टर बनने का सपना देखा था। बदकिस्मती कहिए! कुछ ही दिनों बाद उनकी ऑप्टिकल नस में दिक्कत आ गई और उनकी आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन उन्होंने अपने सपने को मरने नहीं दिया, आज वो 24 साल की हैं और सरकार द्वारा प्रमाणित देश की पहली नेत्रहीन डॉक्टर हैं।
कृतिका पुरोहित नाम है उनका, मुंबई के नालासोपारा में रहने वाली कृतिका के लिए यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। उनके इस संघर्ष की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। जिसमें उनको कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कृतिका की कहानी
दृष्टिहीन कृतिका ने बचपन में आंखों की रोशनी जाने के बावजूद अपने मजबूत इरादों से न केवल डॉक्टर बनने का सपना सच कर दिखाया है, बल्कि अपने जैसे अनेक दिव्यांगों के लिए जिंदगी में कुछ करने की उम्मीद भी जगाई है। हालांकि दृष्टिहीन होने के कारण कृतिका को अपने मुकाम तक पहुंचने में कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा, लेकिन कुछ करने की जिद के आगे सारी परेशानियां झुक गईं।
क्यों जाना पड़ा कोर्ट?
आपको बता दें, देश में दृष्टिहीन लोगों के लिए फिजियोथेरपी में डिप्लोमा और सर्टिफिकेशन कोर्स तो है, लेकिन डिग्री कोर्स नहीं है। कृतिका को डिग्री कोर्स में एडमिशन लेना था, इसलिए उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कृतिका के बुलंद हौसले और मजबूत इरादे के आगे न्यायालय को भी उनके पक्ष में निर्णय देना पड़ा। न्यायालय के आदेश के बाद ही कृतिका को डिग्री कोर्स में दाखिला मिल सका।
मुसीबतें कम नहीं हुई
कृतिका बताती हैं, ‘काफी संघर्ष के बाद मुझे ऐडमिशन तो मिल गया, लेकिन परेशानियां अभी थमी नहीं थीं। मेरे न देख पाने के कारण प्रैक्टिकल को लेकर भी कई लोगों ने सवाल उठाए। मैं ऑब्जेक्ट को देख नहीं सकती थी, इसलिए मैं बिना दस्ताने के मृत शरीर पर प्रैक्टिकल करती थी। इससे मुझे मानव शरीर के विभिन्न अंगों को छूकर उनका अहसास हो जाता था।’इस नए तरीके से कृतिका को मानव शरीर के विभिन्न अंगों को छूकर उनका अहसास होने लगा, जो अब भी जारी है।
आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहती हैं कृतिका
दृष्टिहीन कृतिका ने केईएम अस्पताल से फिजियोथेरेपी में डिग्री कोर्स किया। इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र स्टेट काउंसिल फॉर ऑक्यूपेशनल थेरपी ऐंड फिजियोथेरपी (मुंबई) का सर्टिफिकेट मिला। वह शायद सरकार द्वारा प्रमाणित देश की पहली नेत्रहीन डॉक्टर हैं। अब वह निजी प्रैक्टिस करती हैं और आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहती हैं।
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