सपनों की उड़ान भरने के लिए मां-बाप को छोड़ा, किया भारत का नाम रोशन

जिस तरह हवाई जहाज को उड़ान भरने के लिए रनवे की जरूरत होती है, उसी तरह सपनों की उड़ान के लिए भी एक ऐसी 'जमीन' की जरूरत होती है जो उसका भार उठा सके। इस जमीन को पाने के लिए त्याग और लगन की भी बहुत जरूरत पड़ती है। ऐसी ही है सदानंद उगले की कहानी।
कौन है सदानंद उगले?
महाराष्ट्र में औरंगाबाद के एक गांव में निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले सदानंद को यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी ने स्कॉलरशिप देकर अपने यहां रिसर्च के लिए बुलाया है। सदानंद की कहानी की शुरुआत तब होती है जब वो अपना परिवार छोड़ औरंगाबाद अकेले पढ़ाई के लिए जाते हैं। सदानंद इससे पहले कभी अपने घर से बाहर अकेले नहीं गए थे। अपने माता-पिता की इकलौती संतान होने के बावजूद उनके घरवालों ने अपने बेटे के सपनों के लिए उसको अपने से दूर रखने का फैसला किया।
अब आप सोच रहे होंगे, ऐसा करने में क्या बड़ी बात है? ऐसा तो सबको करना पड़ता है। तो, बात ये है कि ऐसे मौके तो मिल ही जाते हैं लेकिन इन मौकों को कितने लोग भुना पाते हैं वो ज्यादा मायने रखता है। सदानंद को औरंगाबाद के जवाहर नवोदय विद्यालय में एडमिशन मिला इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद गांव से आया एक लड़का टेक्नॉलजी की मदद से अपने आपको इस कदर तैयार कर लिया कि विदेश तक उसकी चमक पहुंच गई।

सदानंद ने सैमसंग स्मार्टक्लास के तहत विदेश में बैठे प्रोफेसरों की मदद से फिजिक्स की पढ़ाई करते हुए वो मुकाम हासिल कर लिए जो आमतौर पर लोग क्लास में प्रोफेसर के सामने बैठकर नहीं कर पाते हैं। आपको बता दें सैमसंग ऐसी प्रतिभाओं को उड़ान भरने के लिए #SapneHueBade नाम से एक प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है जो गांव और शहर के फर्क को खत्म करता है।
ऐसे खुला सफलता का रास्ता
सदानंद ने सैमसंग द्वारा दिए गए इस डिजिटल माध्यम का बखूबी इस्तेमाल किया और दिल की बीमारी से संबंधित 'Seasonal Diseases' पर रिसर्च किया। सदानंद का रिसर्च नेशनल स्कूल कांग्रेस में नवोदय विद्यालय समित द्वारा सलेक्ट कर लिया गया। इसके बाद उनका सफर आगे बढ़ा और उन्हें ऑस्ट्रेलिया में सिडनी स्थित ISS यूनिवर्सिटी में भारत की तरफ से इस रिसर्च को दिखाने का मौका मिला। सदानंद ने सिडनी में झंडे गाड़ दिए जिसके बाद ISS यूनिवर्सिटी ने उन्हें सम्मानित करते हुए स्कॉलरशिप दिया और आगे रिसर्च जारी रखने को कहा। तो बात सिर्फ इतनी है कि मौके तो मिल ही जाते हैं उसको कैसे भुनाया जाय ये बड़ी बात होती है। एक छोटे से गांव से निकलने के बाद भारत का नाम रोशन करते करना अपने आप में बड़ी बात है।
सैमसंग ने सदानंद की इस सफलता पर एक शॉर्ट फिल्म बनाई है, आप भी देखें
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