मुंबई की शिरिजा राजे का यह 'सृजन' बना बच्चों के लिए मिसाल

कैसे की शुरुआत
एक दिन शिरिजा ने घर पर बने खाने में कमियां निकालकर उसे खाने से मना कर दिया। तब शिरिजा की मां उसे गरीब बस्ती में ले गईं। शिरिजा राजे कहती है कि मैं यह देखकर हैरान हो गई कि मेरी उम्र के और मुझसे बड़े बच्चे उस ट्रक के पीछे भाग रहे थे जो उन्हें हर रविवार खाना देने आता था। वह यह सब देखकर शिरिजा रो पड़ी। इसके बाद से शिरिजा ने गरीब बच्चों की मदद करने का फैसला किया।
उसने लैंटर्न बनाने शुरू किए और उन्हें अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को 5 रुपए में बेचने लगी। उसकी मां ने भी उसका साथ दिया और इन्हें ऑफिस में बेचना शुरू किया। कुछ समय बाद ही शिरिजा के पास इतने पैसे हो गए थे कि, वे दिवाली पर गरीब बच्चों के लिए मिठाइयां खरीद सकी। अब तो शिरिजा ने कई और हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट बनाने शुरू कर दिए।
कैंसर के इलाज लिए पैसे जुटाए
तीन साल पहले शिरिजा की मां को कैंसर हो गया। उस समय कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए 30,000 रुपए एकत्रित किए थे। तब से अब तक शिरिजा गरीब बच्चों की मदद के लिए काम कर रही है। इस तरह के बच्चों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
शिरिजा का संदेश
शिरिजा कहती है। मैं अभी 13 साल की हूं और उम्मीद करती हूं कि हर साल दिवाली पर ज्यादा रोशनी हो। और मैं लोगों के चेहरे पर मुस्कान दे सकूं। इसके लिए शिरिजा लैंटर्न और अन्य हैंडीक्राफ्ट खुद बनाती है और उन्हें बेचती है।
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