90% दिव्यांग तुहिन ने मुंह से लिखकर पाए 88% अंक, बनना चाहते हैं वैज्ञानिक

तुहिन आर्थोंग्रेपोसिस मल्टिप्लेक्स कोनजूनिटा से पीड़ित हैं। जिसकी वजह से उनका शरीर 90 फीसदी काम नहीं करता है। लेकिन तुहिन ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से आज हमारे लिए उदाहरण बन गये हैं। तुहिन डे जैसे छात्र ने आज हम लोगों के लिए ‘नामुमकिन’ जैसे शब्द को ही खत्म कर दिया है। तुहिन मात्र 17 साल के हैं।
10वीं में 88 फीसदी अंक किए हासिल
3 जून को जारी सीबीएसई 10वीं के परिणाम घोषित किए गए जिसमें तुहिन ने 88 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। तुहिन को सहारे के लिए व्हीलचेयर की जरूरत पड़ती है। इसके बावजूद का सपना बहुत बड़ा है। स्टीफेन हाकिंग को अपना आदर्श मानने वाले तुहिन बड़े होकर वैज्ञानिक बनना चाहते हैं। तुहिन ने पश्चिम बंगाल के आईआईटी खड़गपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय में अभी पढ़ रहे हैं।
तुहिन के जज्बे को सलाम
तुहिन का स्कूल घर से 14 किलोमीटर दूर था और एक्जाम में भी किसी की मदद के बिना अपने ही मुंह से बिना कोई अतिरिक्त समय लिए खुद लिखा था। उन्हें भारत सरकार द्वारा बेस्ट क्रिएटिव चाइल्ड अवार्ड 2012 और ऐक्सप्शनल अचीवमेंट अवार्ड 2013 में राष्ट्रपति ने दिया है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार तुहिन को पश्चिम बंगाल की सरकार ने भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया है। तुहिन राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के भी छात्र हैं। तुहिन के पिता समीर के मुताबिक, "हमने तुहिन के इलाज में भी कोई कमी नहीं छोड़ी है। उसका कोलकाता और वैल्लूर में कई सालों तक इलाज करवाया। अब तक 20 ऑपरेशन हो चुके हैं। हड्डियों को सीधा रखने के लिए उसके शरीर में प्लेट्स तक डाली गई हैं।"
तुहिन अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। पिता समीरन डे प्रोपर्टी का छोटा-सा व्यवसाय करते हैं। मां सुजाता डे गृहिणी हैं। तुहिन को स्कूल छोड़ने के लिए दोनों को रोजाना करीब 50 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है। तुहिन ओर्थो ग्रिपोसिस मल्टीप्लेक्स कॉन्जीनेटा रोग से पीड़ित हैं। जिससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और शरीर का भार नहीं उठा पाती हैं। इसके बावजूद वह सामान्य विद्यार्थियों के साथ पढ़ते हैं, मोबाइल और कम्प्यूटर ऑपरेट करते हैं। तुहिन का अर्थ बर्फ होता है और यह बालक अपने हौसले की बर्फ को पिघलने नहीं देता।
तुहिन का सपना
तुहिन विश्वविख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिन्स की तरह खुद को विकसित करना चाहते हैं। एस्ट्रो फिजिक्स में रिसर्च करना चाहते हैं। वहां तक पहुंचने के लिए ही कोचिंग सिटी कोटा में कोचिंग करने गए हैं। तुहिन ने कोटा जाने का निर्णय इंटरनेट पर रिसर्च करके लिया है।
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