केरल के एर्नाकुलम ज़िले को हरा-भरा बनाने के लिए इस आईएएस आॅफिसर की पहल है शानदार
के मोहम्मद वाई सफीरुल्ला केरल के सबसे ज्यादा व्यस्त ज़िलों में से एक एर्नाकुलम के जिलाधिकारी हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सफीरुल्ला को हाल ही में ब्रह्मपुरम इलाके में कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र को देखने का काम दिया गया, ये सरकार द्वारा अनुमोदित एक पहल और जल्द ही इस संयंत्र में ये काम शुरू हो जाएगा।
हालांकि सफीरुल्ला इससे पहले भी एर्नाकुलम में इस तरह के एक प्लांट का काम अपनी देखरेख में करा चुके हैं। सफीरुल्ला हरित केरलम मिशन के तहत पूरे एर्नाकुलम को भी हरा - भरा बनाना चाहते हैं।
क्या है हरित केरलम मिशन
हरित केरलम के तहत तीन कामों को पूरा करना होता है— उचित कचरा प्रबंधन को प्रोत्साहित करें, नदियों, तालाबों और धाराओं को पुनर्जीवित करें व जैविक खेती को बढ़ावा दें। कचरा प्रबंधन पर और ज्यादा काम करने के लिए केरल में एक स्थानीय सरकारी विभाग भी बनाया गया है जिसे सुचित्रा मिशन कहा जाता है। सफीरुल्ला बताते हैं कि केरल सरकार के इन आइडियाज को हमने बेस बनाकर इनके आधार पर अपने कुछ इन्नोवेशन किए हैं, जिनको हमने एर्नाकुलम ज़िले को बेहतर बनाने में इस्तेमाल किया है। सफीरुल्ला के मुताबिक, इस जिले में ग्रीन मैरिज यानि हरित विवाह को भी प्रमोट किया जाता है। इसमें ये तय किया जाता है कि किसी भी शादी में एक व्यक्ति 150 ग्राम से ज्यादा प्लास्टिक का कचरा नहीं पैदा करेगा।
इस तरह शुरू किया काम
वह कहते हैं कि पिछले साल हमने कैटरिंग वालों को, धार्मिक नेताओं को और मैरिज हॉल के मालिकों को बुलाया था और उन्हें ये समझाया गया था कि कैसे इस ग्रीन प्रोटोकॉल को फॉलो करना है। वे प्लास्टिक या पेपर के ग्लास की जगह स्टील के ग्लासेज का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हो गए और सजावट के लिए भी बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
वह बताते हैं कि 2017 में इस तरह की लगभग 40 शादियां हुईं। हर उस जोड़े को जिसने अपनी शादी को ज्यादा इको फ्रेंडली बनाए रखने की कोशिश की, उसे ज़िलाधिकारी का साइन किया हुआ एक प्रमाणपत्र दिया गया। इसके बाद सफीरुल्ला ने धार्मिक अनुष्ठानों में भी यही नियम अपनाने के बारे में सोचा। मलयथूर तीर्थ, तिरुवारायणिकुलम मंदिर त्योहार और हाल ही में संपन्न हुए मण्णपुरम्म शिवरात्रि समारोह, सभी में कचरा प्रबंधन का पूरा ध्यान रखा गया।
बच्चों को जागरूक करना है ज़रूरी
वह बताते हैं कि हम इसके बारे में बच्चों को भी जागरूक कर रहे हैं। हमारा प्रोजेक्ट हरित वनम हर घर में बदलाव की शुरुआत करने पर ज़ोर देता है, जैसे घर में प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें, हर घर में छोटा सा ही सही लेकिन एक बगीचा बनाएं।
प्लास्टिक पर लग जाए प्रतिबंध
सफीरुल्ला इस बात की भी वकालत करते हैं कि ज़िले में 50 माइक्रोन के मुताबिक प्लास्टिक को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। इस आइडिया को एर्नाकुलम के कई हिस्सों में लागू किया गया है। कई लोग एक उपनियम पारित करने की प्रक्रिया में हैं जो 50 माइक्रोन के तहत प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाता है।
वह कहते हैं कि हमने एर्नाकुलम में 34 सामग्री संग्रह संयंत्रों के निर्माण का लक्ष्य बनाया है, जबकि 15 संयंत्रों का निर्माण फिलहाल किया जा रहा है। हमारे पास इस तरह के दो संयंत्र पहले से ही हैं जो पेरुंबवूर और परावर में चल रहे हैं। ये सामग्री संग्रह संयंत्र 50 माइक्रोन से ऊपर प्लास्टिक कचरा एकत्र करेंगी और इसे प्लास्टिक की कटाई करने के संयंत्र में भेज देंगी।
ताकि कोई भूखा न सोए
अब सफीरुल्ला ब्रम्हपुरम के कचरे से ऊर्जा बनाने वाले कारखाने का काम देख रहे हैं। इस कारखाने को लगभग 16 एकड़ ज़मीन पर बनाया जा रहा है, जहां पहले धान की खेती होती थी। इस कारखाने में प्लास्टिक के कचरे से ऊर्जा बनाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट को सरकार की अनुमति मिल गई है और 2019 तक इसपर काम शुरू हो जाएगा। इसके अलावा सफीरुल्ला एर्नाकुलम ज़िले में नम्मा ऊनू कार्यक्रम भी चला रहे हैं, जिसका उदृदेश्य है कि पूरे ज़िले में कोई भूखा न सोए।
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