नौकरी छोड़ गांवों में डिजिटल क्लास चला रहा है यह IIT ग्रेजुएट

जबकि होना यह चाहिए कि हर बार उसी समस्या का सामना सबको न करना पड़े ऐसा कुछ उस रास्ते से गुजर चुके इंसान को करना चाहिए... सबका तो नहीं पता पर हमारी जानकारी में एक इंसान ऐसा है जिसने यह काम किया है...और कर रहे हैं।
अपने आप को खुशकिस्मत मानते हैं प्रमोद
बिहार के रहने वाले प्रमोद कुमार जब बहुत छोटे थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई, उनकी मां उन्हें पांचवीं से आगे पढ़ाने की स्थिति में नहीं थीं क्योंकि उनके घर से स्कूल करीब 10 किलोमीटर दूर था। किसी तरह प्रमोद ने सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। उनकी लगन ही थी कि वो 12वीं के बाद IIT वाराणसी और फिर IIM कोझिकोड से मैनेजमेंट की पढ़ाई की, हालांकि प्रमोद मानते हैं वो खुशकिस्मत रहे कि वो मुसीबतों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी करने में सफल रहे लेकिन साथ ही उन्हें इस बात का एहसास भी था कि वो जहां से निकले हैं वहां की यह समस्या हमेशा रहने वाली थी।
पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रमोद तंजानिया चले गए जहां उन्हें मोटे पैकेज पर नौकरी भी मिल गई, फिर भी उनका मन वहां नहीं लगा और वो अपनी नौकरी छोड़ अपने गांव चले आए। आज की तारीख में प्रमोद बिहार के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल माध्यम से बच्चों को तकनीकी की शिक्षा दे रहे हैं। उनका उद्देश्य यह है कि ग्रामीण इलाकों में बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए बेहतर साधन मिलें जिसकी पूर्ति वो तकनीकी के माध्यम से कर सकते थे।
शुरू में आई कई दिक्कतें
प्रमोद ने पिछले साल मार्च में प्रकाश एकेडमी नाम की एक संस्था बनाई। इसमें प्रमोद ने छात्रों को स्कूल की पढ़ाई के बाद डिजिटल क्लास के लिए बुलाने वाले थे, लेकिन गांव में बच्चों के घरवालों ने इस गैर जरूरी समझते हुए पहली बार में प्रमोद के इस प्रयास को खारिज कर दिया।
इसके बाद प्रमोद अपनी टीम के साथ एक-एक घर के दरवाजे पर गए और बच्चों के माता-पिता को डिजिटल माध्यम की ताकत का एहसास दिलाया, इसके लिए वो गार्जियंस के सामने लैपटॉप पर अपने प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी तब कहीं जाकर लोगों ने अपने बच्चों को उनके पास भेजा।
आज की तारीख में उनके और आसपास के गांव के बच्चे जिन्होंने कभी टीवी तक नहीं देखा वो लैपटॉप और प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं और दुनिया को नजदीक से समझ रहे हैं। प्रमोद ने जिन संकटों का सामना किया वो इन बच्चों को नहीं करना पड़ रहा है। ऐसा ही कोई प्रयास अगर आप भी कर सकते हैं तो जरूर करें...
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