कागज देखकर नहीं बल्कि ऑडियो सुनकर फैसला करता है राजस्थान का ये नेत्रहीन जज

राजस्थान के रहने वाले 31 वर्षीय ब्रह्मानंद शर्मा राजस्थान में सिविल न्यायाधीश और न्यायिक मजिस्ट्रेट हैं लेकिन वह कोर्ट की कार्रवाई के कागजात देखते नहीं बल्कि उनकी ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनते हैं और उसी आधार पर फैसले सुनाते हैं क्योंकि 22 साल की उम्र में ही ग्लूकोमा की वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना जज बनने का सपना पूरा किया।
वे राजस्थान के पहले नेत्रहीन जज हैं और उन्होंने कई दिक्कतों को पार करते हुए यह मुकाम हासिल किया है। शर्मा ने अनोखे तरीके से जज की परीक्षा के लिए पढ़ाई की थी और इस पढ़ाई में उनकी पत्नी का भी अहम सहयोग रहा है। उनकी पत्नी जो सरकारी स्कूल में टीचर हैं, किताबें पढ़ती थीं और उसकी रिकॉर्डिंग कर देती थी, जिसके बाद शर्मा उन रिकॉर्डिंग्स को पढ़कर वे पढ़ाई करते थे। उन्होंने रिकॉर्डिंग के माध्यम से ही पूरी तैयारी की और सफलता भी हासिल की।
राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले ब्रह्मानंद ने सरकारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की और 2013 में पहले प्रयास में ही जुडिशल सर्विसेज एग्जामिनेशन पास कर लिया। इसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने उनकी एक साल की ट्रेनिंग कराई और 2016 में वह जज बन गए। सबसे पहले चित्तौड़गढ़ में उनकी नियुक्ति हुई थी।
शर्मा की सुनने की शक्ति इतनी तेज है कि वो किसी भी वकील के चलने की आवाज से पहचान वकील को पहचान लेते हैं। वो बताते हैं, 'कई बार मुझे लगता है कि वकीलों और उनके क्लाइंट्स को संदेह होता है कि कोई नेत्रहीन व्यक्ति भी न्याय दे सकता है। वे भूल जाते हैं कि न्याय की प्रतीक महिला की आंखों पर भी पट्टी बंधी होती है। मैं केस की मेरिट और सबूतों के आधार पर ही फैसला देता हूं। वह एक ई-स्पीक डिवाइश इस्तेमाल करते हैं जो कि नोट्स को पढ़कर सुनाती है। वो कहते हैं कि जब भी कोई वकील कोर्ट में आता है तो मैं उनसे उनकी शिकायत और दस्तावेजों को पढ़ने को कहता हूं। उनकी आवाज से ही मैं उनको पहचान लेता हूं। मैं हर चीज को ध्यान से सुनता हूं क्योंकि कोई भी चीज केस के लिए जरूरी हो सकती है।
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