दिव्यांग भावना के बारे में जानकर सोच में पड़ जाएंगे आप

अगर आपके इरादे बुलंद हैं तो आपके लिए कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं है। राह में आने वाली मुश्किलें आपके इरादों से टकरा कर फूल बन जाएंगी और आप चलते-चलते मंजिल तक पहुंच जाएंगे।
ऐसा ही दिव्यांग भावना साहू ने कर दिखाया है। फरसगांव में अपने एक रिश्तेदार के यहां पढ़ाई करने आई भावना के जन्म से ही हाथ खराब हैं। जिसकी वजह से उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, पर उसने हालातों के आगे कभी हार नहीं मानी।
मुश्किलों से लड़ते हुए भावना ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अब वह कक्षा 6 में पहुंच गई है। जब कुदरत ने हाथ में मजबूती नहीं दी, तो भावना ने अपने पैरों को अपना हाथ बना लिया। वह अब इन्हीं के सहारे अपने दैनिक जीवन के सारे कार्य करती है। भावना पैरों के सहारे भोजन भी करती है।
डॉक्टर बन लोगों की सेवा करना चाहती है भावना
फरसगांव के सरस्वती शिशु मंदिर की छात्रा भावना के माता-पिता गरीब हैं। गरीब परिवार से होने के कारण भावना का इलाज समय रहते नहीं हो पाया। उसके दोनों हाथों ने काम करना पूरी तरह से ही बंद कर दिया। भावना ने अपनी इस कमजोरी को कभी अपनी पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया। भावना ने बताया कि बड़े होकर वह डॉक्टर बनकर अपने जैसों की सेवा करना चाहती है।
मां-बाप हैं गरीब, बुआ ने दिया सहारा
भावना के माता-पिता कुली-मजदूरी कर दो वक्त का भोजन जुटा पाते हैं। ऐसे में तीन बच्चों का पालन-पोषण, उन्हें अच्छी तालीम दिला पाना उनके वश की बात नहीं थी। भावना के पढ़ने-लिखने की ललक को देखते हुए फरसगांव में रहने वाली बुआ भावना को अपने पास ले आई और उसका दाखिला नगर के अच्छे स्कूल में करवा दिया।
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