इंजीनियर ने शुरू की मोती की खेती, अब लाखों में है कमाई

अपनी चमक और खूबसूरती की वजह से मोती बहुत कीमती होते हैं। यही नहीं दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले रत्न भी मोती ही है। प्राकृतिक तरीके से मोती ज़िंदा शेल के सॉफ्ट टिश्यू के अंदर पैदा होते हैं और आर्टीफिशयल तरीके से भी मोती ऐसे ही उत्पादित किए जाते हैं। यानि कि एक शेल में एक ऑयस्टर एक जरिए टिश्यू डाला जाता है जिससे एक पर्ल सैक पैदा होती है जिसमें कैल्शियम कार्बोनेट का मोती बनता है। इस प्रॉसेस को पर्ल कल्चरिंग कहते हैं और इसका बिजनेस लगभग पूरी दुनिया में होता है लेकिन क्या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जो दिल्ली या गुरुग्राम जैसी जगह पर मोती पैदा कर रहा हो और अच्छी खासी कमाई कर रहा हो।
गुरुग्राम के विनोद यादव ने जमालपुर गांव में अपने घर के पीछे एक बीघा ज़मीन में एक तालाब बनाया। वो शायद इस सैटेलाइट शहर के अकेले मोती की खेती करने वाले किसान हैं।
पेशे से इंजीनियर विनोद ने शुरुआत में 20x20 के तालाब में मछली पालन शुरू किया था। और 2016 में ज़िले के सरकारी संस्थानों का दौरा करके भी इसके बारे में जानकारी इकट्ठी की। हालांकि यहां से उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई इसलिए उन्होंने ये काम बंद कर दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने बताया कि इसके बाद डिस्ट्रिक्ट फिशरीज ऑफिसर धर्मेंद्र सिंह ने उन्हें सलाह दी कि विनोद को भुवनेश्वर के सेंट्रल स्कूल ऑफ फ्रेशवॉटर एक्वाकल्चर में एक महीने के पर्ल कल्चर प्रोग्राम की ट्रेनिंग लेनी चाहिए।
विनोद ने ट्रेनिंग लेकर इस काम को शुरू किया और आज वो इससे 4 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं। धर्मेंद्र सिंह के मुताबिक, गुरुग्राम हरियाणा राज्य का पहला ज़िला है जिसमें मोती की खेती हो रही है और इसके अच्छे परिणामों को देखते हुए दूसरे ज़िले भी इसे करना शुरू कर रहे हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि इसके लिए फिशरीज़ डिपार्टमेंट 50 किसानों को सब्सिडी भी दे रहा है।
भारत में मोती की खेती के लिए सेटअप लगाने में लगभग 40,000 रुपये खर्च होते हैं एक बार की फसल को तैयार होने में लगभग 8 से 10 महीने का समय लगता है।
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