अमिताभ की फिल्म 'पिंक' से अलग है इस 'पिंक' की कहानी...

अमिताभ बच्चन ने पिछले साल एक फिल्म में काम किया था जिसका नाम था 'पिंक'। यह फिल्म महिलाओं को लेकर बनाई गई थी, इस फिल्म की कहानी शहर में कामकाजी महिलाओं से जुड़ी हुई थी जो अपने अधिकारों के लिए लड़ती थीं। लेकिन हम आपको एक और 'पिंक' की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो गांवों और कस्बों के महिलाओं की है।
क्या है इस 'पिंक' की कहानी
दो साल पहले हरियाणा के रोहतक में छह महिला ऑटो ड्राइवरों के साथ शुरू हुआ गुलाबी ऑटो रिक्शा का सफर पूरी रफ़्तार से जारी है। आम तौर पर ये रोहतक रेलवे स्टेशन से बस अड्डा, मेडिकल, आस-पास के कॉलेज और कोचिंग सेंटर्स तक चलते हैं। यातायात में महिलाओं और कॉलेज जाने वाली लड़कियों की सुरक्षित और सहज यात्रा के लिए गुलाबी ऑटो रिक्शा की शुरुआत की गई थी। शुरुआती दिनों में इसमें सिर्फ महिला यात्रियों को ही सफ़र करने की इजाज़त थी। हालांकि अब महिला चालक वाले इन ऑटो रिक्शा में पुरुष भी सफ़र कर सकते हैं।
आज गुलाबी ऑटो रिक्शा की संख्या आज 40 के पार हो गई है। रोहतक में पुरुष ऑटो ड्राइवर, महिलाओं के बनिस्बत कोई बहुत ज़्यादा नहीं है। महिला ड्राइवर अपने साफ-सुथरे व्यवहार और सधी हुई ड्राइविंग की वजह से ये आम यात्रियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। 12वीं तक पढ़ाई करने वाली रीना लगभग एक साल से गुलाबी ऑटो रिक्शा चला रही हैं।
इन औरतों में कई विधवाएं भी हैं
इन औरतों में कुछ 45 साल से भी ऊपर हैं तो कुछ 20 साल की नवयुवतियां भी हैं, लेकिन ड्राइविंग में सभी सधे और चौकस दिखे। इन औरतों में कई विधवाएं भी हैं तो कुछ के घर में कमाने वाली एकमात्र 'आदमी' भी वही हैं। दिनभर में 300-400 रुपये तक कमाने वाली इन महिलाओं ने ऑटो लोन पर ले रखा है और हर महीने सात हज़ार रुपये की किश्त देती हैं। वो कहती हैं कि सरकार अगर किश्त में थोड़ी कटौती करवा देती तो उन्हें थोड़ा सहारा मिल जाता।
चटकीले गुलाबी रंग का साफ सुथरे ऑटो रिक्शे में गुलाबी यूनीफॉर्म में बेख़ौफ रिक्शा चलाती इन महिलाओं को देख कर आपके दिमाग में सहसा ये बात आती है कि क्या ये वही हरियाणा है जहां के घटते लिंगानुपात को लेकर चिंता जताई जाती है।
साभार: बीबीसी
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