बिना मिट्टी और खाद के ये नई तकनीक अपनाकर किसान उगा रहे सब्जियां

बिना जमीन, मिट्टी और खाद के सब्जी उगाना आप भी चौंक गए होंगे कि ये जादू कैसे हो सकता है लेकिन ये संभव है और ऐसा हो रहा है राजस्थान व चेन्नई के किसान इस नई तकनीक को अपनाकर बिना जमीन के सब्जियां उगा रहे हैं।
परंपरागत खेती की तकनीक से यहां के किसानों को फायदा नहीं मिल रहा था फसलों में लागत भी अच्छी खासी लग जाती थी और मुनाफा उस हिसाब से नहीं मिलता था। इसके अलावा शहर में रहने वाले लोग भी बिना खेत व जमीन के अपने छतों पर इस तकनीक से सब्जियां उगा रहे हैं। ऐसे में यहां के किसानों ने अपनाई हाईड्रोपोनिक्स तकनीक, जिसमें फसलों को बिना खेत में लगाए केवल पानी व पोषक तत्व देकर उगाया जा सकता है।
इस तकनीक को जलीय खेती नाम भी दिया गया है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रहने वाले प्रकाशपुरी ने अपनी छत पर सिर्फ 22 हजार की लागत लगाकर जलीय खेती का पूरा ढांचा तैयार कर लिया और इसमें खेती शुरू कर दी। पुरी ने इसकी जानकारी तीन चार कृषि विश्वविद्यालयों से ली और सब्जियों की खेती इसी तकनीक से शुरू कर दी।
चेन्नई के रहने वाले श्री राम ने गोपाल ने भी बिना मिट्टी के खेती करने वाले एक स्टार्टअप की शुरुआत की है। उनका टर्नओवर इस साल छह करोड़ तक पहुंच चुका है। 2015-16 में उनका टर्नओवर सिर्फ दो करोड़ था। यानी इस बिजनेस में हर साल 300 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही है। श्रीराम इससे पहले खुद की स्थापित की गई एक आईटी कंपनी चलाते थे। लगभग पांच साल पहले उनके एक दोस्त ने यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक्स का एक विडियो दिखाया जिससे वे काफी प्रभावित हुए। उनके पिता की पुरानी फैक्ट्री में काफी जगह पड़ी हुई थी। वहां उन्होंने मिट्टी रहित खेती करने की सोची। ये तरीका हिट हुआ और उनको फायदा मिलने लगा।
क्या है जलीय खेती
ये तकनीक इजराइल से ली गई है, इसे हाइड्रोपॉलिक पद्धति के नाम से भी जाना जाता है। खेती में पानी की खपत ज्यादा नहीं होती पौधों को जितनी जरूरत होती है उतना ही पानी खपता है। बाकी बचा पानी ड्रम में इकट्ठा हो जाता है। सही जानकारी और सलाह से इस खेती को बढ़ावा मिल सकता है। ये तकनीक पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। इसमें कीटनाशकों का इस्तेमाल भी कम होता है, इसके साथ ही पैदावार भी ज्यादा होती है। आपने कभी अपने घर या कमरे में पानी से भरे ग्लास में या किसी बोतल में किसी पौधे की टहनी रख दी हो तो देखा होगा कि कुछ दिनों के बाद उसमें जड़ें निकल आती हैं और धीरे-धीरे वह पौधा बढ़ने लगता है। क्योंकि पौधे या फसल उत्पादन के लिये सिर्फ तीन चीजों - पानी, पोषक तत्व और सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। इस तरह यदि हम बिना मिट्टी के ही पेड़-पौधों को किसी और तरीके से पोषक तत्व उपलब्ध करा दें तो बिना मिट्टी के भी पानी और सूरज के प्रकाश की उपस्थिति में पेड़-पौधे उगा सकते हैं।
ऐसे करती है ये तकनीक में काम
इस तकनीक से घर में भी बिना मिट्टी के पौधे और सब्जियां आदि उगाई जा सकती हैं। पानी में लकड़ी का बुरादा, बालू या कंकड़ों को डाल दिया जाता है और पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिये एक खास तरीके का घोल डाला जाता है। ये घोल कुछ बूंदों के तौर पर महीने में एक या दो बार ही डाला जाता है। पौधों पौधों में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए पतली नली या पंपिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
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