दिल्ली के तीर्थक को DU ने ठुकराया, NASA ने अपनाया, अब Forbes में मिला स्थान

नजरें लक्ष्य पर रखने वाले कभी भी शिकस्त का स्वाद नहीं चखते। देर से ही सही लेकिन मंजिल पा ही जाते हैं। दिल्ली के तीर्थक साहा की कहानी भी यही है। दिल्ली के रहने वाले तीर्थक साहा एक समय दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं पा सके थे। उस समय उन्होंने यह सोचा भी नहीं होगा कि कभी उन्हें फोर्ब्स की सालाना 30 अंडर-30 की सूची में 15 हजार हस्तियों के बीच में से छांटकर रखा जाएगा।
दिल्ली के द्वारका क्षेत्र में रहने वाले तीर्थक के पिता एक स्कूल टीचर और मां डाक विभाग में काम करती हैं। वहीं, तीर्थक इंडियाना स्थित अमेरिकन इलेक्ट्रिक पावर (AEP) संस्थान में काम करते हैं। वह कंपनी यूएसए के 11 राज्यों के 55 लाख लोगों बिजली की सप्लाई करती है। तीर्थक ने अपनी कामयाबी के दम पर फोर्ब्स मैग्जीन की सालाना 30 अंडर-30 की लिस्ट में शामिल कर दिखाया है।
दुनिया की मशहूर हस्तियों में शामिल
इस लिस्ट में दुनिया भर के युवा उद्यमियों, खोजकर्ताओं और बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाले युवाओं को शामिल किया जाता है। बता दें कि साहा ने यह मकाम 15 हजार नॉमिनेशंस में से हासिल किया है। फोर्ब्स मैग्जीन की सालाना 30 अंडर-30 की लिस्ट में 600 सफल लोगों को शामिल किया गया है। इनमें 20 अलग-अलग क्षेत्रों के 30-30 लोगों को शामिल किया गया है।

दिल्ली के द्वारका में रहने वाले तीर्थक साहा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट कोलंबिया स्कूल से की उसके बाद उन्होंने मणिपाल कॉलेज, कर्नाटक से ग्रैजुएशन किया और उसके बाद 2013 में वे अमेरिका चले गए। अभी वह अमेरिका के इंडियाना प्रांत में रह रहकर अमेरिकन इलेक्ट्रिक पॉवर (AEP) के लिए काम कर रहे हैं। यह कंपनी अमेरिका के 11 स्टेट में 55 लाख लोगों को बिजली की सप्लाई करती है। लेकिन तीर्थक की जिंदगी कुछ साल पहले काफी संघर्षों से भरी थी।
बता दें कि एक समय तीर्थक एस्ट्रोफिजिक्स (खगोल भौतिकी) की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन डीयू की कट ऑफ काफी ऊंची होने की वजह से उन्हें किसी भी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल सका। कारण, स्कूल में उनके नंबर इतने नहीं आ पाए थे कि दिल्ली विश्वविद्यालय उन्हें दाखिला देता। इसके बाद उन्होंने मणिपाल यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल सेंटर में एप्लाइड साइंस में दाखिला ले लिया। इसके बाद उन्हें फिलाडेल्फिया की ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला जहां से उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस किया।
फिर नासा के साथ जुड़ गए
इस दौरान उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष रिसर्च एजेंसी नासा के साथ काम किया। वे नासा के लिए मिनि सैटेलाइट के लिए सोलर पैनल मॉड्युलर बनाने पर काम किया। उन्हें कैंपस से ही AEP में नौकरी मिल गई। कंपनी को पॉवर ग्रिड सिस्टम पर काम करने के लिए किसी की जरूरत थी, तीर्थक उनके लिए एकदम सही उम्मीदवार साबित हुए। उन्हें वहां ग्रिड मॉडर्नाइजेशन इंजिनियर की नौकरी मिली। दरअसल कंपनी में ऐसा कोई पद ही नहीं था लेकिन उनकी काबिलियत को देखते हुए यह नया पद बनाया गया। AEP ने हाल ही में एक इनोवेशन चैलेंज आय़ोजित किया था जिसमें 600 आवेदनों के बीच साहा का प्रॉजेक्ट दूसरे स्थान पर रहा। इस प्रॉजेक्ट को कंपनी के पूरे नेटवर्क में लागू किया जाएगा।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
