मां के 'अंतिम' शब्द ने दिखाई उसके बच्चों को राह, बसाया बेघरों का घर

किसी की अंतिम इच्छा, सपना पूरा करना शायद सबसे बड़ा काम माना जाता है, और जब वो अंतिम इच्छा मां की हो तो उसे हर हाल में पूरा करना बच्चों का कर्तव्य बन जाता है। ऐसी ही एक घटना हुई जब एक मां ने अपने बच्चों से कहा कि वो मेरे मरने के बाद उनकी ये इच्छा जरूर पूरी कर दें।
'मेरे जेवर आपस में मत बांटना'
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में छह बेटों की मां छोटीबाई चोपड़ा जब मृत्युशैय्या पर थी उसने अपने बेटों को बुलाकर कहा कि मेरी मृत्यु के बाद मेरे जेवर को आपस में मत बांटना, इसका उपयोग उन लोगों के हित में करना, जिनकी कोई नहीं सुन रहा हो। मां की इस अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उनके बेटों को हालांकि 16 साल लग गए, लेकिन आज वो अपनी मां का सपना पूरा करने में कामयाब हो गए हैं।
बेटों ने कैसे पूरा किया मां का सपना
मां की मृत्यु के बाद चोपड़ा बंधुओं ने मां के आधे जेवर 25 लाख में बेचे और उस पैसे से गौरखेड़ा के जंगल में छह एकड़ जमीन खरीदी। उसके बाद चोपड़ा बंधुओं ने सोलह साल तक ऐसे परिवारों की तलाश की जो वाकई बेघर हैं। उनकी तलाश अब पूरी होती दिख रही है। उन्होंने परसाहीदादर के जंगल से बेदखल किए गए कमार परिवारों के लिए घर बनवाने का निर्णय लिया है। इसके बाद चोपड़ा बंधुओं ने ने मां का सपना पूरा करने के लिए संपत्ति की परवाह न करते हुए बेघर आदिवासियों के लिए कॉलोनी बसा दी।
महासमुंद विधायक डॉ. विमल चोपड़ा ने बताया कि फरवरी, 2014 में जब उन्हें पता चला कि वन विभाग द्वारा आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया गया, तो उन्होंने उन गरीब आदिवासियों के हित के लिए काम करना शुरू किया।
विधायक ने बताया कि शासन-प्रशासन से भी गरीब आदिवासियों को किसी तरह की सहायता नहीं मिल पा रही थी। उनका सामान वन विभाग ने जब्त कर लिया था। इतना ही नहीं बेघर आदिवासी परिवारों के पुरुष महासमुंद जेल में, महिलाएं रायपुर में तथा बच्चों में लड़कियां राजनांदगांव में और लड़के रायपुर के माना स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में भेज दिए गए थे। इस दौरान लगातार दो साल तक आदिवासियों ने अपनी हक की लड़ाई जारी रखी। ये लोग महासमुंद जिलाधीश कार्यालय के सामने खुले गगन तले धरने पर बैठे रहे।
सर्व आदिवासी समाज ट्रस्ट बनाया
बकौल चोपड़ा, कई आदिवासी महिलाओं ने यहां अपने बच्चों तक को जन्म दिया। चोपड़ा परिवार ने ना केवल इन्हें छुड़वाया, बल्कि इनके आवास एवं रोजगार के लिए भी प्रयास जारी रखा। विधायक चोपड़ा के अनुसार शहीद वीर नारायण सिंह सर्व आदिवासी समाज ट्रस्ट बनाया गया है। इस ट्रस्ट के माध्यम से ही इन पीड़ित परिवारों का व्यवस्थापन हो रहा है। इस वर्ष बारिश से पूर्व इन परिवारों को अपना आवास मुहैया करा दिया जाएगा। कॉलोनी का नाम हरिसिंह ध्रुव नगर रखा गया है। हरिसिंह उन आदिवासियों के नेता थे, जो बेघर हो गए थे।
उन्होंने बताया कि एक एकड़ जमीन में आवास का निर्माण तथा चार एकड़ जमीन में रोजगार के अवसर तैयार कराए जा रहे हैं। आदिवासियों के लिए बन रही यह कालोनी महासमुंद से सात किलोमीटर दूर गौरखेड़ा गांव में निमार्णाधीन है।
विधायक ने बताया कि इस योजना के लिए उन्हें समाज के लोगों सहित समाजिक संस्थाओं का भी साथ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि रायपुर के मोतीलाल झाबक ने 25 लाख रुपये का दान किया है। इस तरह परिवार के और भी सदस्यों ने इस योजना के लिए दान किया है, जिससे एक करोड़ से अधिक की लागत से कॉलोनी तैयार हो रही है। उन्होंने बताया कि यह कार्य बगैर किसी शासकीय सहयोग के किया जा रहा है।
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