सफाईकर्मी की बेटी को मिली 01 करोड़ की स्कॉलरशिप, कभी गिरवी रखे थे जेवर
मध्य प्रदेश का इंदौर शहर अपनी साफ-सफाई के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह शहर सफाई के मामले में पहले नंबर पर रहता है। यहां हजारों की संख्या में सफाईकर्मी शहर को साफ रखने में जुटे रहते हैं। अब एक सफाईकर्मी की बेटी ने 01 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप पाकर सभी को हैरान कर दिया है। यहां रहने वालीं महिला सफाईकर्मी नूतन घ्रावरी की बेटी रोहिणी स्कॉटलैंड से पीएचडी करने के लिए अनुसूचित जनजाति विभाग ने 01 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप प्रदान की है।
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सफाईकर्मी मां ने जेवर गिरवी रख कराई पढ़ाई
नूतन की मां कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल में सफाईकर्मी हैं। उन्होंने जीवन में संघर्ष कर अपनी बेटी को मार्केटिंग की पढ़ाई में एडमिशन दिलाया था। रोहिणी पढ़ाई में बचपन से ही बेहद प्रतिभावान है। रोहिणी ने मार्केटिंग से एमबीए कर चुकी हैं। नूतन बताती हैं कि वह बचपन में बेटी को अपने साथ ले जाती थीं, लेकिन उसका ध्यान पढ़ाई में ज्यादा लगता था। बेटी ने हमेशा ही आगे पढ़ने की इच्छा जताई थी। घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह रोहिणी की आगे की पढ़ाई जारी रख सकें, इस वजह से उन्होंने अपने जेवर गिरवी रखकर उसे पढ़ाने के लिए रुपयों का इंतजाम किया था। आज उन्हें बेटी की उपलब्धि देखकर अपने निर्णय पर गौरव महसूस होता है। उनका कहना है कि हर मां-बाप को अपने बेटे-बेटी में भेद नहीं करना चाहिए।
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पहले रिश्तेदार मारते थे ताना, अब करते हैं तारीफ
रोहिणी कहती हैं कि उनके परिवार ने हमेशा उनका साथ निभाया है। कुछ साल पहले तक जब उनके माता-पिता किसी पारिवारिक समारोह में जाते थे तो वहां लोग उन्हें ताना मारते थे। उनका कहना था कि बेटी की शादी कर दो, इतना पढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा। बाद में शादी के लिए अच्छा लड़का भी नहीं मिलेगा। अब वही लोग उनके माता-पिता को मेरी उपलब्धियों पर बधाई देते हैं। यह देखकर जो खुशी होती है उसे शब्दों में बयां कर पाना बेहद ही मुश्किल है।
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राष्ट्रीय स्तर की वालीबॉल खिलाड़ी भी हैं रोहिणी
आपको बता दें कि रोहिणी को जितना ज्यादा पढ़ाई का शौक है उतना ही खेलकूद का भी है। वह राष्ट्रीय स्तर की वालीबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं। उनके परिवार में दो बहनें अश्विनी और कोमल हैं। साथ ही भाई हर्ष भी है। उनका भाई हर्ष भी नेशनल अंडर 14 बास्केटबॉल टीम का कप्तान है। रोहिणी का सपना पढ़ लिखकर अपने माता-पिता और देश का नाम रोशन करने का हैं। वह कहती हैं कि माता-पिता को अपनी बेटियों को किसी से कम नहीं समझना चाहिए।
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