मजदूर व भूमिहीन किसानों के बेटों का आईआईटी में पढ़ने का सपना होगा साकार

पैसों के अभाव में अमेरिका न जा पाने वाले सुपर 30 के डायरेक्टर अब तक सैकेड़ों गरीब बच्चों को आईआईटी कराएंगें। गरीब बच्चों का सपना साकार करने के लिए चलाई जा रही उनकी मुहिम का असर इस बार भी देखने को मिला। आईआईटी जेई एडवांस के आए परिणाम में इस बार 'सुपर 30' के 26 विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की है।
बता दें कि आनंद कुमार ने 2002 में संस्थान की शुरुआत की थी। संस्था हर साल गरीब बच्चों का सपना साकार करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराती है। इस साल भी जेईई परीक्षा के लिए कमजोर तबके के 30 प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षा गई थी। बता दें कि पटना में चलने वाले उनके संस्थान सुपर 30 के अलावा आनंद कुमार की संस्थान का नाम 'रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स' है। बच्चों के चयनित होने पर आनंद कुमार ने कहा कि यह बच्चों की मेहनत का नतीजा है कि उन्होंने आईआईटी प्रवेश में सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा, 'सफल छात्रों में शामिल बच्चे समाज के उस अंतिम पायदन पर खड़े थे जहां विकास और चमकदमक की पहुंच नहीं है। घोर अभाव और पिछड़ेपन में रहे इन बच्चों की सफलता हासिल कर दिखा दिया कुछ भी मुमकिन है।' अब अगले साल ये संस्थान 90 गरीब बच्चों का सपना साकार करने जा रहा है।
इन बेटों का आईआईटी में पढ़ने का सपना होगा साकार
हर साल की इस साल भी सुपर-30 में के जरिए ऐसे बच्चे आईआईटी में पढ़ने का सपना साकार करने जा रहे हैं, जिन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह भी आईआईटी में दाखिला ले सकेंगे। लेकिन उनकी मेहनत व आनंद कुमार के मार्गदर्शन ने उनका सपना साकार कर दिया है।
आनंद कुमार का कहना है यह देख कर संतोष होता है कि जो पिछड़े इलाके के बच्चे, जहां अभी विकास की किरण नहीं पहुंची है और लोग जिंदगी जीने के लिए संघर्ष करते हैं, वे अपनी मेहनत और प्रतिभा से आइआईटी की परीक्षा पास कर रहे हैं। उनकी माने तो इस साल ओनीरजीत गोस्वामी, सूरज कुमार, यश कुमार और सूर्यकांत दास जैसे छात्रों ने आइआइटी जेईई की परीक्षा पास की है, जो काफी पिछड़े इलाके से आते हैं।
ओनीरजीत गोस्वामी ने बताया कि उसके पिता कानपुर की एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं। मैं शुरू से ही चाहता था कि जिंदगी में कुछ अच्छा करें। इसके लिए मैं लगातार प्रयास भी कर रहा था, उन्होंने कहा कि आईआईटी की परीक्षा पास करना मेरा सबसे बड़ा ख्वाब था। मैं आनंद सर के सहयोग और मार्गदर्शन को कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने मेरे जैसे स्टूडेंट की मदद की। मेरे सपने को साकार किया।
ऐसी इस कहानी सूरज कुमार की है। सूरज झारखंड के गिरीडिह का रहने वाला है। उसके पिता कभी स्कूल नहीं गए। घर में कोई जमीन भी नहीं है। भूमिहीन होने के कारण पिता जी इधर-उधर मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। मैँ जिस हालतों से होकर यहां तक पहुंचा मेरे लिए वह किसी सपने कम नहीं है। सूरज के पिता को यह विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनके बेटे ने आइआइटी की परीक्षा पास कर ली। सूरज ने कहा कि आनंद सर ने न सिर्फ हमें मुफ्त में शिक्षा दी, बल्कि हमारे आत्मबल को भी बढ़ाया। वे पग-पग पर हमारे साथ खड़े रहे। मेरे पिता जी को यह नहीं मालूम है कि आईआईटी क्या होता है, लेकिन उन्हें पता है कि मेरे बेटे ने एक कठिन परीक्षा पास की है।
400 से अधिक बच्चों का सपना कर चुके हैं साकार

पटना में पिछले सुपर 30 पिछले 16 सालों से बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी करा रही है। 2002 में आनंद कुमार द्वारा खोले गए इस संस्थान से अब तक 400 से ज्यादा छात्र आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल कर चुके हैं। गौरतलब है कि हर साल, उनकी संस्थान, रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स आर्थिक रूप से कमजोर 30 छात्रों का चयन करने के लिए एक परीक्षा आयोजित करता है। यह परीक्षा देश के विभिन्न बड़े-बड़े शहरों में आयोजित होती है। बच्चों के चयनित होने के साथ ही ट्यूटर्स और एक साल के लिए सभी 30 छात्रों को रहने की भी सहायता करता है।
संस्थान गरीब परिवारों के 30 बच्चों को कोचिंग, भोजन और रहने की सुविधा देता है ताकि वे अपना ध्यान केवल आईआईटी-जेईई में सफल होने पर फोकस करें। आनंद कुमार बच्चों के प्रति पूरी तरह से समर्पित होते हैं। इस काम के लिए आनंद का पूरा परिवार उनका साथ देता है। आनंद कुमार की माने तो उनकी मां खुद घर में सभी 30 बच्चों के लिए खाना बनाती हैं और वह और उनके भाई प्रणव बच्चों को आईआईटी की तैयारी करवाते हैं। बच्चों का टाइम-टेबिल बना होता है और जिसका सभी को पालन करना होता है। गरीब बच्चों के प्रति उनकी श्रद्धा का ही नतीजा है कि आज सुपर-30 का सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेश में भी नाम है।
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