इस फसल का उत्पादन कर दो एकड़ में लाखों रुपये कमा रहीं चंद्रमणि, प्रधानमंत्री ने भी पूछा तरीका
अगर महिला कुछ अलग करने की ठान ले तो फिर कुछ क्या नहीं कर सकती है। बस कुछ अलग करने की छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की महिला किसान चंद्रमणि कौशिक ने ठानी। परम्परागत खेती को छोड़कर अलग तरह की खेती करके उन्होंने इतनी प्रसिद्धी हासिल की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से बात करने का उन्हें मौका मिल गया।
सीताफल से आइसक्रीम बनाने के कारण उनका कारोबार भी बढ़ गया। उनकी आइसक्रीम की इतनी प्रसिद्धी है कि प्रधानमंत्री तक के सामने उन्होंने आइसक्रीम की पेशकश कर दी। प्रधानमंत्री को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सीताफल से पल्प निकालने वाली मशीन तथा अपनी बनाई आइसक्रीम दिखाते हुए चंद्रमणि ने कहा सर आप दूर बैठो हो नहीं तो आपको आईस्क्रीम टेस्ट करा देती। महिला की हाजिर जवाबी पर प्रधानमंत्री बिना खिलखिलाए नहीं रह पाए।
महज आठवीं पास है चंद्रमणि
कांकेर जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर कन्हारपुरी गांव की रहनेवाली महिला किसान चंद्रमणि कौशिक आठवीं पास है। वह इस समय एक महिला समूह के साथ जुड़ी हुई हैं। जिसमें वह सब मिलकर सीताफल (शरीफा) की खेती अपने दो एकड़ की जमीन में कर रही हैं। पहले वह भी इसी खेती में धान की खेती करती थी। जिससे महज उन्हें 15 से 20 हजार रुपये का फायदा होता था। इनके क्षेत्र में सीताफल की फसल अच्छी होती और दूसरे किसान इसकी फसल कर भी रहे थे, लेकिन उन्हें इसका उचित दाम नहीं मिल रहा था। हालांकि चंद्रमणि ने भी सीताफल की खेती शुरू कर दी। 'आत्मा' कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षण मिलने के बाद उनकी किश्मत बदल गई। यही नहीं चंद्रमणि कौशिक अपने पति डोमार सिंह के साथ इस समय छिलके से बनी जैविक खाद का भी प्रयोग करके प्याज की खेती कर रही है।
इस तरह बदली किश्मत, दिल्ली तक होती है बिक्री
प्रधानमंत्री से अपने अनुभव शेयर करे वाली चंद्रमणि की किश्मत कुछ इस तरह बदली। उन्होंने 'जय प्रगति महिला सीताफल उत्पादक एवं मूल्य संवर्धक' नाम से एक महिला समूह की स्थापना की और साल 2016 में इनके समूह को प्रशिक्षण में बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। कृषि विभाग की 'आत्मा परियोजना' के अंतर्गत उन्होंने अपने उत्पादन की ब्रॉण्डिग करने व सीधे मार्केट में लाने का अनुभव भी मिला। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से ही उन्हें आइसक्रीम बनाना सिखाया गया। 'आत्मा' की तरफ से उन्हें आइसक्रीम बनाने का भी प्रशिक्षण दिया गया। सरकार ने इसके साथ ही उनके समहू को चार डीप फ्रिजर, पल्प निकालने की मशीन, आइसक्रीम बनाने की मशीन मुफ्त में उपलब्ध कराया। आलम ये है कि अब इस महिला समूह को सालाना दो लाख से अधिक का फायदा हो रहा है।
इस तरह करती है कारोबार
इस समय उनका कारोबार बहुत अच्छा चल रहा है। उनका समूह महज 10-15 महिलाओं के साथ शुरू हुआ था, लेकिन इस समय इनके समूह में 300 से अधिक महिलाएं है। उनके क्षेत्र में सीताफल अधिक होता है। इनके समूह ने भी सीताफल की खेती शुरू कर दी। लेकिन इन लोगों के सामने समस्या यह थी कि कोचिए गांव में व्यापारी आते थे और यहां से महज 25 किलो सीताफल 60 रुपए में ठग कर ले जाते थे। इसके बाद जब 'आत्मा' योजना के अन्तर्गत उन लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया, तो इसके बाद उन्होंने अपना व्यापार आधुनिक तरीके से शुरू कर दिया। सभी महिलाएं प्रोजेक्ट में सीताफल तोड़ते हैं, ग्रेडिंग का काम करते हैं, बाक्स में भरकर बेचने ले जाते हैं। अच्छी तरह से पैकजिंग का फायदा यह मिला है कि उन्हें अच्छा दाम मिलने लगा। इन लोगों को आत्मा योजना से मशीन भी मिली गई और उन लोगों को ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद इन लोगों ने पल्प निकालकर आइस्क्रीम बनाना शुरू दिया। अब सीताफल के साथ ही साथ आइसक्रीम का कारोबार भी बेहतर चल रहा है। सीताफल पल्प निकालने मशीन तथा फ्रीजर लोन में लेकर सीताफल आईस्क्रीम तैयार करने लगी। अब उनकी आईस्क्रीम की मांग सिर्फ जिले में ही नहीं बल्कि रायपुर तक है। इस समय इनके समूह की आमदनी साल भर में 8-10 लाख रुपये है।
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