46 की उम्र में सातवीं बार एवरेस्ट पर चढ़े कमांडेंट लवराज सिंह, तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड

पर्वत पर चढ़ना तो वैसे भी मुश्किल है और अगर एवरेस्ट की बात जाए तो एक बार भी चढ़ना मुश्किल होता है। सात-सात बार की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। लेकिन उत्तराखंड के लवराज सिंह ने ये साबित कर दिखाया है।

अगर आपके इरादे मजबूत हों तो आप आसमान के तारे भी छू सकते हैं। हिमालय की तरफ मजबूत इरादे वाले लवराज सिंह धर्मशक्तू आसमान के तारे न सही पर सात बार एवरेस्ट को जरूर छू चुके हैं। वैसे तो एवरेस्ट पर छह बार चढ़ने वाले वे पहले और एक मात्र भारतीय है, जिन्होंने खुद अपना रिकॉर्ड तोड़ा है।
बीएसएफ की टीम को 20 मार्च को खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने फ्लैगऑफ किया गया था। अप्रैल के पहले सप्ताह में टीम भारत से नेपाल को निकली। दो दिन काठमांडू में रुकने के बाद टीम अप्रैल के दूसरे सप्ताह में एवरेस्ट के मुख्य बेसकैंप के लिए रवाना हुई थी। बीते 19 मई को लवराज धर्मशक्तू बीएसएफ की टीम के पहले बैच के सदस्य प्रवीन, प्रवीन कुमार, प्रीतम, विकास सिंह, आसिफ जान के साथ 8 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट के अंतिम बेस कैंप साउथ कोल पर थे।
रात करीब 10 बजे के बाद लवराज की अगुवाई में टीम के सदस्यों ने एवरेस्ट की अंतिम चढ़ाई शुरू की। उत्तराखंड में कुमाऊं के एक गांव में जन्मे और हिमालय की गोद में पले-बढ़े लवराज सिंह एक सामान्य परिवार से आते हैं पर उनकी असामान्य उपलब्धि के लिए उन्हें पद्मश्री समेत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। लवराज को 2003 में तेनसिंह नोर्ग नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड और 2014 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका है ।
पर्वतारोहण का शौक पूरा करना कोई आसान काम नहीं है। एवरेस्ट तो फिर भी बहुत दूर है अगर आप कम ऊंचाई वाली चोटियों पर भी चढ़ाई करना कहते हैं तो आपको कम से कम तीन-चार लाख रुपये की जरूरत होती है, पर लवराज सिंह ने अपनी चोटी खुद तय की। उनके शौक और उत्साह को देखकर पर्वतारोहण के इंस्ट्रक्टरों के बीच उन्हें जगह मिल गई और आज वे इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के आजीवन मानद सदस्य है। अब वे पर्वतारोहियों को पर्वतारोहण के गुर सिखाते हैं। बीएसएफ में असिस्टेंड कमांडेंट के तौर पर काम करने वाले लवराज सिंह पर्वतारोहण भी सिखाते हैं।
2012 में बिना ऑक्सीजन के चढ़े एवरेस्ट चोटी पर

लवराज पहले भारतीय पर्वतारोही हैं जो पांच बार एवरेस्ट चोटी पर चढ़ने में सफलता हासिल कर चुके हैं। मार्च, 2012 में लवराज बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट चोटी पर चढ़ने में सफल रहे थे। वह बीएसएफ में असिस्टेंट कमाडेंट के पद पर तैनात हैं। लवराज ने 1989 में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से एडवेंचर कोर्स किया था। यहीं नहीं सबसे बड़ी बात यह है कि लवराज ने चारों दिशाओं की तरफ से एवरेस्ट चढ़ने में सफल रहे हैं।
2017 में तोड़ा अपना था अपना रिकॉर्ड
पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के करीब मदकोट शहर से 10 किलोमीटर दूर बौना गांव के निवासी 46 वर्षीय लवराज सिंह बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट हैं। मई 2017 में लवराज धर्मशक्तू ने छठी बार एवरेस्ट में चढ़कर इतिहास रचा है। मुनस्यारी के बोना गांव निवासी लवराज सिंह धर्मशक्तू को बीएसएफ इंस्टीट्यूट ऑफ एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग की ओर से देहरादून में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पांच बार के एवरेस्ट पर फतह कर रिकॉर्ड बनाने के लिए सम्मानित किया गया था। जब उन्होंने छठी बार रिकॉर्ड बनाया था एडवांस ट्रेनिंग संस्थान के कमांडेंट आरके नेगी ने बताया कि अगर लवराज सिंह छठी बार एवरेस्ट पर पहुंचकर रिकॉर्ड कायम करते हैं तो वह ऐसा करने वाले देश के पहले व्यक्ति होंगे। आखिरकार उन्होंने ऐसा कर ही दिया था और अब सातवीं बार एवरेस्ट फतेह करके अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
पत्नी के नाम भी ये है रिकॉर्ड

धर्मपत्नी रीना धर्मशक्तु, जो फास्ट इंडियन वुमन स्की टू साउथ पोल ( first Indian woman to ski to South Pole) हैं। रीना दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उन्होंने यह उपलब्धि 2010 में हासिल की थी। उन्होंने बताया कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के बाद उन्होंने सेटेलाइट फोन से उनसे बात की। इस तरह से लवराज ने एक साल बाद अपने ही रिकॉर्ड को तोड़कर नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है।
दुनिया में इन्होंने की है सबसे अधिक बार एवरेस्ट फतेह
एवरेस्ट को सबसे अधिक बार फतेह करने का रिकॉर्ड अभी तक नेपाल के एक शेरपा के पास है। नेपाल के शेरपा 47 वर्षीय कामी रीता दुनिया की सबसे उंची, 8,848 मीटर की चोटी को 21 बार फतेह कर चुके हैं। शंगरी-ला नेपाल ट्रेक के प्रबंध निदेशक जिबान घिमिरे ने बताया कि कामी रीता एल्पाइन एस्सेंट्स एवरेस्ट एक्सपीडिशन का हिस्सा थे। नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष आंग शेरिंग शेरपा ने बताया कि यह रिकॉर्ड बनाने वाले वह दुनिया के तीसरे व्यक्ति हैं। उनसे पहले एपा शेरपा और फुरबा ताशी शेरपा रिकॉर्ड 21 बार माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे थे।
लवराज ने कब-कब जीता एवरेस्ट

1998: फर्स्ट इंडियन सिविलियन अभियान
2006: बीएसएफ का अभियान
2009: नेहरु पर्वतारोहण संस्थान का अभियान
2012: ईको एवरेस्ट अभियान
2013: एवरेस्ट अभियान
2017: ओएनजीसी के एवरेस्ट एक्सप्लोर
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
