बिहार की शान फिलिपिंस में लहराएगी देश का परचम, Miss Earth 2017 में India को करेगी रिप्रजेंट

बिहार की एक बेटी ने एक बार फिर से ऐसा काम किया है जिससे बिहार का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी छा जाएगा। बिहार की बेटी शान सुहास कुमार इस बार मिस अर्थ-2017 को रिप्रजेंट करने वाली है। यह प्रतियोगता 4 नवंबर को फिलिफिंस के मनिला में होने वाली है। शान मूलत: बिहार के पूर्णिया जिला से है। शान की उम्र 26 साल है।
पिता रिटायर्ड अफसर हैं
शान के पिता सुहास कुमार भारतीय वायु सेना से रिटायर्ड अफसर हैं। वहीं इनकी मां आरती कुमारी AISECT यूनिवर्सिटी भोपाल से MOOC कर चुकी हैं। इससे पहले शान 29 सिंतबर 2017 को आयोजित हुए मिस इंडिया प्रतियोगिता में सेलेक्ट हो चुकी हैं। इसके बाद ही शान को मिस अर्थ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए सेलेक्ट किय गया।
पूर्णिया से है शान का रिश्ता
सुहास कुमार पुर्णिया के रहने वाले हैं, लेकिन उनकी शादी पटना के गांधी मैदान के पास रहने वाली आरती से हुई। शान के माता-पिता पक्के तौर पर बिहारी है। वहीं शान की शिक्षा में उनके माता-पिता ने कोई कमी नहीं छोड़ा। यही वजह से है कि आस शान अपने मां-बाप के साथ देश और अपने राज्य का नाम रौशन कर रही हैं।
पूरे बिहार को शान पर है गर्व
शान की मां आरती ने साइंस कॉलज पटना से अपनी पढ़ाई की है। वो बताती हैं कि आज मैं बहुत खुश हूं। शान का इस प्रतियोगिता में शामिल होना हमलोगों के साथ पूरे देश और पूरे बिहार के लिए 'शान' की बात है। आज शान देश ही नहीं देश के पार विदेश में भी बिहार का नाम रौशन कर रही है। ये अपने आप में अद्भूत क्षण है।
शान अपने दादी मां के गुजरने पर 2016 में पटना आई थी। लेकिन अब बिजी होने की वजह से वो पटना नहीं आ पाती है। लेकिन वो इससे पहले हमेशा पटना आती रहती थी और अपने परिवारवालों के साथ समय बिताती थी। शान के परिवारवाले शान के बारे में बताते हैं कि वो हमेशा हमलोगों के साथ जुड़ी रहती है। WhatsApp के माध्यम से वो हम लोगों से बातचीत करती रहती है। शान की मां ने बताया कि वो अभी मनीला में के बाहरी इलाके में स्कूबा ड्राइविंग की प्रशिक्षण ले रही है।
जब शान की मां आरती से पूछा गया कि आप कैसा महसूस की जब आपकी बेटी एक ऐसे क्षेत्र के लिए चुनी जाती है, जिसे बिहार मे तरजीह नहीं दी जाती है साथ ही इसके लिए समाज कोसता भी है। इस पर आरती ने बताया कि शान की परवरिश उस माहौल में हुआ है जिसमें बेटा और बेटी को एक समान माना जाता है। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि मैं अपने परिवार में 3 भाइयों के साथ अकेली बेटी हूं लेकिन आज तक मुझे बेटा और बेटी में अंतर महसूस नहीं हुआ। हम अपनी बेटियों को कभी कीचन में रहने के लिए दवाब नहीं डालते हैं। हम हमेशा उसे जिंदगी में अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
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