यह बैकबेंचर UPSC में चार बार फेल होने के बाद बना आईपीएस

कहा जाता है कि अगर आदमी के अंदर किसी भी काम को करने की सच्ची लगन और जुनून हो तो फिर वह क्या नहीं कर सकता है? ऐसा ही एक छात्र कभी क्लास में सबसे पीछे बैठा था और टॉपर और शिक्षक उसकी तरफ देखते ही नहीं थे। यही नहीं जब वह छात्र बेहतर भविष्य को लेकर संघर्ष कर रहा था तब भी वह लगातार असफल हो रहा था। लगातार मिल रही असफलता के बाद भी वह नहीं निराश नहीं हुआ। सिविल सेवा की परीक्षा में चार बार असफल होने के बाद आखिरकार वह सफल रहा और आज उसके कंधों पर स्टार व अशोक लाट चमक रही है।
यह कहानी है कर्नाटक कैडर के आईपीएस मिथुन कुमार जीके की। 2016 में 130वीं रैंक पाकर सिविल परीक्षा पास करने वाले मिथुन कुमार इस परीक्षा को पास करने से पहले चार बार फेल हुए थे। उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी जब सोशल मीडिया पर लिखी तो खूब सराहा गया। उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी लिखते हुए कहा कि "वह हमेशा क्लास में पीछे बैठते थे। क्लास में कमजोर होने के कारण टॉपर और शिक्षक कभी मेरी तरफ देखते ही नहीं थे।" आज मिथुन कुमार छाए हुए है। उनके संघर्ष की कहानी पढ़कर अपने लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत करने का पाठ भी सीख रहे हैं।
बचपन से था पुलिस में जाने का सपना
बचपन में पढ़ने में कमजोर रहे मिथुन कुमार का बचपन से ही सपना था कि वह पुलिस सेवा में जाकर सेवा करें। उन्होंने लिखा कि 'स्कूल के दिनों में मैं औसत छात्र था। हमेशा क्लास में पीछे बैठना मेरी आदत ही नहीं मजबूरी बन गई थी क्योंकि मुझे अन्य बच्चों की तरह सब कुछ नहीं था। इसी वजह से क्लास के टॉपर और शिक्षक मेरी ओर देखना पसंद ही नहीं करते थे। मैं पढ़ने में भले ही कमजोर था लेकिन मेरा सपना बचपन से ही पुलिस की वर्दी पहनने का था। पढ़ाई में लोगों के इस व्यवहार से मैं हिम्मत हराने वाला होता था लेकिन मेरे दिमाग में हमेशा पुलिस की वर्दी घूमती रहती थी।' बस मुझे यही पढ़ने की प्रेरणा देता था।
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कुछ दिन की कंपनी में नौकरी
मिथुन कुमार ने फेसबुक पर लिखा कि 'मैं घर का सबसे बड़ा था और मेरे माता-पिता सेवानिवृत्ति होने वाले थे, ऐसे में परिवार की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही आ रही थी और मैंने माता-पिता का साथ देने के लिए सॉफ्टवेयर संबंधित नौकरी शुरू कर दी। कंपनी में नौकरी के दौरान भी सदैव पुलिस की वर्दी ही मेरे दिमाग में घूमा करती थी। नौकरी भी पुलिस की वर्दी का रुतबा धूमिल नहीं कर सकी। कुछ समय के बाद छोटा भाई नौकरी में आ गया और परिवार की जिम्मेदारी वह संभालने लगा। बस यही मैंने अपने लक्ष्य की ओर रुख किया और तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान असफलता मिली लेकिन हौसला कम नहीं और अंत में मैं आईपीएस बन ही गया।'
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'इसलिए चुनी पुलिस की नौकरी'
संघर्ष के बाद जब मिथुन कुमार ने 130वीं रैंक हासिल की, तो उन्होंने आईएएस के बजाय आईपीएस ही चुना। मिथुन बताते हैं कि लोग पूछते हैं कि इतने संघर्ष के बाद जब सफलता मिली तो आईएएस की जगह आईपीएस को क्यों चुना। मिथुन इसका जवाब देते हुए कहते हैं कि मुश्किल में पड़ा व्यक्ति या तो अस्पताल जाता है या पुलिस के पास जाता है। इस लिए वह मैं हमेशा से ही पुलिस में भर्ती होना चाहता था।
हारना और जीतना हमारे ऊपर निर्भर है...
संघर्षों के बाद सफलता हासिल करने वाले मिथुन कहते हैं कि हमें कोई हरा नहीं सकता। यह हमारे दिमाग पर निर्भर करता है कि हमें हारना या जीतना है। हमें अपने लक्ष्य की ओर निरंतर प्रयास करते रहने की जरूरत है। मिथुन कहते हैं कि लक्ष्य को पाने में मुश्किलें आएंगी लेकिन उनसे हारे बिना लड़ना होगा और आगे निकला होगा। उन्होंने कहा कि वह हर इंसान को तरक्की के लिए निरंतर आगे बढ़ते रहने की सीख देते हैं।
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