अवनी ने रक्षा के क्षेत्र में रचा इतिहास, बनीं फाइटर प्लेन उड़ाने वाली पहली महिला

अवनी ने गुजरात के जामनगर में अपनी पहली ट्रेनिंग में अकेले मिग-21 बाइसन (रूस में निर्मित) फाइटर प्लेन उड़ाया। अवनी ने मिग-21 को करीब 30 मिनट तक उड़ाए रखा। बता दें कि मिग-21 ‘बाइसन’ की दुनिया में सबसे ज्यादा लैंडिंग और टेक-ऑफ स्पीड है।
मूलतः मध्यप्रदेश की रहने वाली अवनी चतुर्वेदी इससे पहले 18 जून 2016 को महिला फाइटर पायलट बनने वाली पहली तीन महिलाओं में से एक थीं। इसमें अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत को वायु सेना में कमीशन किया गया था। एयर कमोडोर प्रशांत दीक्षित ने कहा कि था कि ‘यह भारतीय वायु सेना और पूरे देश के लिए एक विशेष उपलब्धि है।’ अन्य देशों में महिलाओं को फाइटर पायलट बनता देख केंद्र सरकार ने भी साल 2015 में महिलाओं को फाइटर पायलट में बनाने का निर्णय लिया था।
कल्पना चावला के जीवन से प्रेरित हैं अवनी
2016 में पहली बार जब इंडियन एयरफोर्स की तीन महिला पायलट्स में अवनी शामिल हुई थीं, तो उन्होंने कहा था कि मैं कल्पना चावला के जीवन से बहुत प्रभावित हूं। अवनी ने कहा था, ‘मैं तीसरी क्लास में थी, तब टीवी पर कल्पना चावला की स्पेसशिप क्रैश में मौत की खबर देखी थी। उस खबर ने मेरी मां सविता चतुर्वेदी को बहुत परेशान कर दिया था।’ सेना परिवार से होने के कारण अवनी की मां कल्पना की मौत से काफी दुखी थीं वह इस खबर को सुनने के बाद टीवी स्क्रीन के सामने बैठकर रो रही थीं। तभी अवनी उनके पास गई और मां से बोली रोइए मत, मैं अगली कल्पना चावला बनूंगी। अब अवनी ने उस सपने को साकार भी किया है। अवनी पायलट बनने का सपना पूरा हो गया। वह कहती हैं कि कल्पना चावला के अलावा पूर्व प्रेसिडेंट एपीजे कलाम ने मुझे बहुत प्रेरणा दी। वो अपने भाषणों में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की बात कहते थे।
रीवा का रहने वाला है अवनी का परिवार
अवनी मूल रूप से रीवा जिले से ताल्लुक रखती हैं। उनका जन्म 27 अक्टूबर 1993 को हुआ था। उनके पिता दिनकर चतुर्वेदी मध्य प्रदेश सरकार के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं और उनकी मां एक घरेलू महिला हैं। अवनी के बड़े भाई भी लेफ्टिनेंट कर्नल रहे हैं। अक्टूबर 2015 में सरकार ने महिलाओं के फाइटर पायलट बनने की राह प्रशस्त कर दी थी। अवनी की स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश के शाहदोल जिले के एक छोटे से कस्बे दियोलैंड में हुई। 2014 में राजस्थान की बनस्थली यूनिवर्सिटी से उन्होंने टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने इंडियन एयरफोर्स का एग्जाम पास किया। 25 साल की अवनी ने अपनी ट्रेनिंग हैदराबाद एयर फोर्स अकेडमी में पूरी की। फाइटर प्लेन को अकेले उड़ाना पूर्णरूप से फाइटर पायलट बनने की दिशा में पहला कदम है। अवनी को चेस, टेबल टेनिस खेलने के अलावा स्केचिंग और पेंटिंग करना पसंद है। पहली फाइटर पायलट बनने वाली अवनी अभी दो साल तक विशेष ट्रेनिंग करेंगी जिसके बाद इस काम में वह पूरी तरह से परफेक्ट हो जाएंगी।
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