धरती को बचाने के लिए महेश बांटते हैं लोगों को पौधे

महाराष्ट्र के रहने वाले महेश शेवड़े ऑटो रिक्शा चलाते हैं। उनकी उम्र 42 बरस है, रिक्शा चलाने के अलावा महेश पृथ्वी को बचाने के लिए एक मुहिम भी चला रहे हैं।
वह छोटे पौधे तैयार करके लोगों को दान कर देते हैं। जब वह ऑटो चलाने का काम कर रहे होते हैं, तो साथ-साथ पौधों के बीज और बेकार माने जाने वाले पॉलीथिन बैग इकठ्ठा करते रहते हैं।
देवकर पानंद, राजारामपुरी, सर्किट हाउस, लाइन बाज़ार और नागला पार्क की ओर वह जब भी जाते हैं तो पौधों के बजाय उनके बीज लाते हैं। उसके बाद वह उन बीजों से पौधे तैयार करके उन्हें अलग-अलग पॉलीथिन के बैग में रख लेते हैं। जिससे उन्हें इसे बांटने में आसानी होती है। उनके इस काम में रिक्शा स्टैंड के कई अन्य लड़के भी हाथ बंटाते हैं।
महेश मुफ्त में देते हैं पौधे
महेश ये पौधे उन लोगों को देते हैं, जो उनसे मांगते हैं। यही नहीं वह इसके एवज में एक भी रुपये नहीं लेते हैं। वह इसे प्रकृति को समर्पित करते हैं। महेश कहते हैं, “पहले मैंने अपना अकाउंट नंबर भी लोगों को दिया था, लेकिन बाद में मैंने पूर्ण रूप से पैसा लेना बंद कर दिया।”
मुस्कुराते हुए वह कहते हैं, “इस काम के पैसा लेना मुझे गवांरा नहीं हुआ, क्योंकि ये कुछ मिनटों का काम है।” अब तक वह 8000 से ज्यादा पौधे दान कर चुके हैं। साल 2010-12 के दरम्यान उन्होंने वालावलकर हाई स्कूल में सबसे ज्यादा पौधे दान किये थे। अप्रैल 2017 में महेश ने कोल्हापुर के वन विभाग को 500 पौधे दान किये हैं।
धरती को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं महेश
अपने इस काम की वजह को बताते हुए महेश कहते हैं, “सम्पूर्ण धरती का तापमान बढ़ रहा है। इसलिए हम सभी को इस समय से निपटने के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए। हम सभी को घर या ऑफिस में कम से कम 4 पेड़ लगाने चाहिए और उन पेड़ों की सिंचाई के लिए बोतल में पानी लेकर जाना चाहिए।” महेश तकरीबन 20 वर्षों से ऑटो रिक्शा चला रहे हैं।
जब उनके रिक्शे का नंबर नहीं होता है, तो वह इस समय का उपयोग बीज और पॉलीथिन बैग इकठ्ठा करने में कर लेते हैं। वह काजू, बादाम, मीठे सेब, कटहल, आम, नींबू, अंजीर और तुलसी के पौधे तैयार करते हैं। महेश जब भी समय पाते हैं, वह अपने पौधों के देखभाल में लग जाते हैं।
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