दुर्गम इलाकों पर लड़ रहे सैनिकों के लिए इस सैनिक ने बनाया चलता फिरता फ्रिज

सीमा पर दुर्गम इलाकों में बिजली न होने से खाने पीने की चीजें व दवाएं जल्दी खराब हो जाती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए भारतीय सेना के एक अफसर ने IIT कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ऐसा चलता फिरता फ्रिज तैयार किया है जो सौर ऊर्जा से चलेगा।
इस फ्रिज का इस्तेमाल उन इलाकों में किया जाएगा जहां पर बिजली नहीं रहती। आईआईटी कानपुर की रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग लैब में एक पोर्टेबल रेफ्रिजरेशन कार्ट यानि ठेला तैयार किया गया है जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा से चलेगा। इस रेफ्रिजरेटर को बनाने में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल अखिल सिंह चरक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके मुताबिक इस फ्रिज की कीमत 50 हजार रुपए के आसपास होगी।
जम्मू-कश्मीर के रहने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल अखिल सिंह की सैन्य टुकड़ी को दुर्गम इलाके में तैनाती मिली थी वहां बिजली न होने से ग्रामीणों को कोल्ड चेन वाली दवाएं लेने दूर जाना पड़ता था और जीवन रक्षक दवाएं समय से न मिलने पर अक्सर लोगों की मौत हो जाती थी। सैनिकों के खानपान का सामान भी खराब हो जाता था। पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने उन्हें IIT कानपुर से एमटेक करने भेजा तो उन्होंने इस परेशानी का भी हल निकाल लिया। आठ महीने की मेहनत के बाद उनका ये पॉयलट प्रोजेक्ट कामयाब रहा।
जल्द ही बाजार में हो सकती है लांच
लेफ्टिनेंट चरक के साथ सहयोगी रहे IIT कानपुर के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये ई-कार्ट मोदी सरकार की मदद मिलने पर बाजार में जल्दी ही लांच हो सकता है। इस मोबाइल रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल भारतीय सेना द्वारा भी किया जा सकता है। इस कार्ट में सोलर पैनल, बैटरी, एक डीसी ऑपरेटर कंप्रेसर, चार्ज कंट्रोलर और एनर्जी मीटर लगे हुए हैं। सोलर पैनल से सूर्य की रोशनी को सीधे रफ्रिजरेटर में पड़ने से रोका जाता है। पैनलों को इस तरह से लगाया गया है कि अधिकतम सूर्य रोशनी को प्राप्त किया जा सकता है। इसमें लगी बैटरी का बैकअप 24 घंटे से ज्यादा है। इस फ्रिज की कैपेसिटी अभी 240 लीटर है। कोल्ड चेन वाली दवाओं को माइनस 2 से माइनस 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना होता है, इस तरह ये ई-कार्ट इस मानक को भी पूरा करता है।
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