घर की छत को बना दिया है खेत, उगाते हैं 35 से ज्यादा सब्जियां

चार साल पहले तक भोपाल की रहने वाली अर्चना भार्गव को बागवानी के बारे में कुछ भी नहीं पता था। उन्हें नहीं पता था कि घर पर कैसे सब्जियां उगाई जाती हैं। कैसे बीज रोपते हैं, पौधों की देखभाल करते हैं, लेकिन आज अगर आप उनके घर की छत पर जाएंगे तो आपको सब्जियों, फलों और फूलों की कई प्रजातियां देखने को मिलेंगी।
मूली, शलजम, चुकंदर, गाजर, बींस, पालक, भिंडी, टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रॉकली, चौलाई, बथुआ, लेट्यृस, धनिया, पुदीना, शकरकंद, अनार, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, अंजीर सहित 35 से ज्यादा तरह के फल और सब्जियां उनकी छत पर लगे हैं और इसकी सबसे खास बात है कि ये सब एकदम ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जा रहा है। अर्चना के इस काम में उनके पति डॉ. राकेश भार्गव भी उनका पूरा साथ दे रहे हैं।
मूली, शलजम, चुकंदर, गाजर, बींस, पालक, भिंडी, टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रॉकली, चौलाई, बथुआ, लेट्यृस, धनिया, पुदीना, शकरकंद, अनार, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, अंजीर सहित 35 से ज्यादा तरह के फल और सब्जियां उनकी छत पर लगे हैं और इसकी सबसे खास बात है कि ये सब एकदम ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जा रहा है। अर्चना के इस काम में उनके पति डॉ. राकेश भार्गव भी उनका पूरा साथ दे रहे हैं।

इस सबकी शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में बात करते हुए अर्चना बेटर इंडिया से कहती हैं, ''मैंने और मेरे पति ने आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर में 4 साल पहले छत पर बागवानी की क वर्कशॉप अटैंड की थी। इसके बाद से हमें लगा कि हमें भी ऑर्गेनिक सब्जियां और फल ही इस्तेमाल करने चाहिए।'' वह कहती हैं कि हमने जीवामृत बनाना सीखा ताकि मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सके और यह सिर्फ हमारी बागवानी की शुरुआत थी। कुछ समय बाद हमने अग्निहोत्र भी सीखा जो एक तरह का हवन होता है। यह पर्यावरण, पौधों और इससे जुड़े व्यक्ति के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। हमने अपने घर की छत पर 3 से 4 सब्जियां उगाने से शुरुआत की और आज हमारे ऑर्गेनिक टेरेस गार्डन में 35 तरह की सब्जियां हम उगा रहे हैं।


वह कहती हैं कि हम ब्लैक चेरी टोमैटो और रेड बींस भी अपनी छत पर उगाते हैं। ये सब्जियां या तो बाजार में मिलती ही नहीं हैं और अगर मिलती भी हैं तो इनकी कीमत काफी ज्यादा होती है। अर्चना और डॉ. राकेश भार्गव इसके लिए उर्वरक और कीटनाशक भी घर पर ही जैविक तरीके से तैयार करते हैं।
यह भी पढ़ें : छत पर करनी है खेती तो पहले पुष्पा साहू का किचन गार्डन देखिए...
अर्चना कहती हैं कि शुरुआत में हम खाद के लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब हम अग्निहोत्र जल से अपना खुद का उर्वरक बनाते हैं। यह उर्वरक गाय के गोबर और अग्निहोत्र की राख को मिलाकर बनाया जाता है। कीटनाशक के लिए हम नीम की पत्तियों का उबालकर बनाया गया पानी, खट्टा मट्ठा, गौमूत्र और राख को मिलाकर घोल बनाते हैं और इसका स्प्रे करते हैं।

अर्चना का टैरेस गार्डन आज भोपाल में लोगों के लिए बहुत खास बन गया है। हर दिन कई लोग इसे देखने आते हैं और अर्चना से बागवानी के गुर सीखते हैं। अर्चना खुश होकर कहती हैं कि हमारा टेरेस गार्डन देखकर कई लोग इंस्पायर हुए हैं और अब उन्होंने भी अपने घर पर जैविक विधि से सब्जियां उगाना शुरू किया है।
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इस सबकी शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में बात करते हुए अर्चना बेटर इंडिया से कहती हैं, ''मैंने और मेरे पति ने आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर में 4 साल पहले छत पर बागवानी की क वर्कशॉप अटैंड की थी। इसके बाद से हमें लगा कि हमें भी ऑर्गेनिक सब्जियां और फल ही इस्तेमाल करने चाहिए।'' वह कहती हैं कि हमने जीवामृत बनाना सीखा ताकि मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सके और यह सिर्फ हमारी बागवानी की शुरुआत थी। कुछ समय बाद हमने अग्निहोत्र भी सीखा जो एक तरह का हवन होता है। यह पर्यावरण, पौधों और इससे जुड़े व्यक्ति के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। हमने अपने घर की छत पर 3 से 4 सब्जियां उगाने से शुरुआत की और आज हमारे ऑर्गेनिक टेरेस गार्डन में 35 तरह की सब्जियां हम उगा रहे हैं।

वह कहती हैं कि हम ब्लैक चेरी टोमैटो और रेड बींस भी अपनी छत पर उगाते हैं। ये सब्जियां या तो बाजार में मिलती ही नहीं हैं और अगर मिलती भी हैं तो इनकी कीमत काफी ज्यादा होती है। अर्चना और डॉ. राकेश भार्गव इसके लिए उर्वरक और कीटनाशक भी घर पर ही जैविक तरीके से तैयार करते हैं।
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अर्चना कहती हैं कि शुरुआत में हम खाद के लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब हम अग्निहोत्र जल से अपना खुद का उर्वरक बनाते हैं। यह उर्वरक गाय के गोबर और अग्निहोत्र की राख को मिलाकर बनाया जाता है। कीटनाशक के लिए हम नीम की पत्तियों का उबालकर बनाया गया पानी, खट्टा मट्ठा, गौमूत्र और राख को मिलाकर घोल बनाते हैं और इसका स्प्रे करते हैं।

अर्चना का टैरेस गार्डन आज भोपाल में लोगों के लिए बहुत खास बन गया है। हर दिन कई लोग इसे देखने आते हैं और अर्चना से बागवानी के गुर सीखते हैं। अर्चना खुश होकर कहती हैं कि हमारा टेरेस गार्डन देखकर कई लोग इंस्पायर हुए हैं और अब उन्होंने भी अपने घर पर जैविक विधि से सब्जियां उगाना शुरू किया है।
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